फल, सब्जियां, मांस-मछली और फूलों जैसे जल्दी खराब हो जाने वाली चीजें यानी पेरिशेबल श्रेणी की वस्तुएं तेजी से एयर इंडिया के कार्गो कारोबार का मजबूत हिस्सा बन रही हैं। इस श्रेणी ने बीते दो वर्षों में बढ़ती मांग और कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे में रणनीतिक निवेश के कारण 37 फीसदी की दमदार वृद्धि दर्ज की है।
वित्त वर्ष 2025 में एयर इंडिया ने विदेश में 57,530 टन ऐसी वस्तुओं का परिवहन किया था जो वित्त वर्ष 2024 में 49,703 टन और वित्त वर्ष 2023 में 41,998 टन था। एयर इंडिया के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि जल्द खराब होने वाले सामान विमानन की कंपनी के अंतरराष्ट्रीय कार्गो वॉल्यूम में अब करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है और इसके अंतरराष्ट्रीय कार्गो राजस्व में इनका करीब 22 फीसदी योगदान है।
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विमानन कंपनी के कुल अंतरराष्ट्रीय कार्गो वॉल्यूम में भी दमदार वृद्धि दर्ज की जा रही है और यह वित्त वर्ष 2023 के 1,37,358 टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 1,67,202 टन हो गया था और बीते वित्त वर्ष 2025 में यह और बढ़कर 2,16,076 टन पहुंच गया।
हालांकि, कुल अंतरराष्ट्रीय कार्गो की वृद्धि जल्दी खराब होने वाले सामान की वृद्धि से अधिक है। लेकिन यह श्रेणी एयर इंडिया के कारोबार का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है। यह विमानन कंपनी के लक्षित निवेश से भी पता चलता है।
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कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि बीते 2-3 वर्षों में एयर इंडिया ने अपने कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स को अपग्रेड किया है और इसमें तापमान के लिहाज से नाजुक सामान की शिपमेंट के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप दिल्ली, मुंबई, बेंगलूरु, लंदन के हीथ्रो, फ्रैंकफर्ट, न्यू यॉर्क और शिकागो जैसे दुनिया के 14 हवाई अड्डों पर सक्रिय कंटेनर और कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं शामिल की हैं।