घरेलू उत्पादों के कुल निर्यात में 20 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले इंजीनियरी उत्पाद क्षेत्र में मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक 4 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी।
इसके साथ ही निर्यातकों का दावा है कि इस क्षेत्र का निर्यात वित्त वर्ष 2008-09 में घटकर महज आधा रह जाएगा। इसकी वजह विदेशों में इंजीनियरी उत्पादों की मांग में हुई कमी है।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के कार्यकारी निदेशक आर मैत्रा ने बताया, ”सर्वेक्षण और उद्योग से मिले संकेत के मुताबिक, मार्च 2009 के अंत तक इंजीनियरी उत्पाद क्षेत्र में करीब 4 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी। यही नहीं अगले वित्त वर्ष में भी नौकरियों का खत्म होना जारी रहेगा। बहुत जल्द जानकारी मिल जाएगी कि आगे की परिस्थतियां कैसी रहने वाली हैं।”
परिषद द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकडों के मुताबिक, 13 हजार से ज्यादा इंजीनियरिंग कंपनियों में लगभग 40 लाख लोग कार्यरत हैं। इनमें से 50 फीसदी लघु और मध्यम आकार की कंपनियां हैं।
निर्यात के लिहाज से यह क्षेत्र 20 फीसदी का योगदान देता है। इस नजरिये से यह देश का सबसे बड़ा क्षेत्र ठहरता है। अब तक समझा जा रहा था कि आर्थिक मंदी के असर से विदेशों में यह क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हुआ है।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के मुताबिक, 2008-09 के दौरान निर्यात संबंधित उद्योगों में करीब 1 करोड़ नौकरियां खत्म होंगी। सर्वेक्षण से पता चलता है कि इन्हीं 30 कंपनियों में केवल अगस्त से जनवरी तक 1,900 लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं।
