बीएस बातचीत
मोतीलाल ओसवाल म्युचुअल फंड के प्रमुख (पैसिव फंड्स) प्रतीक ओसवाल का कहना है कि घरेलू निवेशकों को विविधता के माध्यम के तौर पर और अपने पोर्टफोलियो में उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए विदेशी बाजारों में निवेश पर विचार करना चाहिए। बिंदिशा सारंग के साथ साक्षात्कार में ओसवाल ने यह स्पष्ट किया कि निवेशकों को विदेशी बाजारों में शेयरों में निवेश किस तरह से करना चाहिए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
अमेरिकी बाजार पिछले एक सप्ताह में काफी गिरे हैं। आप इस गिरावट को किस नजरिये से देखते हैं?
वहांइस साल की तेजी फेडरल रिजर्व द्वारा नकदी लगाने और ब्याज दरों में नरमी की वजह से आई। इसलिए ज्यादातर रकम शेयर बाजार में लगाई गई। इसके अलावा आय और सुधार की रफ्तार अमेरिकी बाजार में उम्मीद के मुकाबले बेहतर रही है। तीसरी बात, कोविड-19 टीके का परीक्षण तेज गति से चल रहा है। विभिन्न अनिश्चितताओं के साथ साथ मूल्यांकन अब महंगा है। अमेरिकी बाजार में निवेश की संभावना तलाश रहे निवेशकों को विविधता के नजरिये से ऐसा करना चाहिए। आपके पोर्टफोलियो में एसऐंडपी 500 फंड से उतार-चढ़ाव कम करने में मदद मिलेगी। पिछले दशकों के दौरान, भारतीय और अमेरिकी इक्विटी बाजारों में कम सह-संबंध देखने को मिला है जिससे निवेशकों के लिए विविधता की जरूरत बढ़ गई है।
विदेश में निवेश से पहले आपको कौन से कारकों पर ध्यान देना चाहिए?
अक्सर, अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश के दो तरीके हैं। पहला म्युचुअल फंडों के जरिये, जो दो सूचकांकों नैस्डेक 100 और एसऐंडपी 500 की पेशकश करते हैं। दूसरा, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के जरिये विदेश रकम भेजना थोड़ा महंगा है, लेकिन यह अच्छा विकल्प है। कई भारतीय निवेशक मौजूदा समय में मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश से दूरी बनाए हुए हैं। निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार कुछ खास फंडों का चयन करना चाहिए। सेक्टर फंड न खरीदें, बेहद सामान्य और विविधता वाले म्युचुअल फंड पर विचार करें। पिछले आंकड़े बताते हैं कि डाइवर्स म्युुचुअल फंडों में दीर्घावधि प्रतिफल के संदर्भ में ज्यादा प्रभावी बनने की क्षमता होती है। इसके अलावा, सामान्य इंडेक्स फंडों का इस्तेमाल करें। यूरोप और अमेरिका जैसे मजबूत बाजारों में इंडेक्स फंडों ने सभी सक्रिय फंडों को 90 प्रतिशत तक मात दी है।
ईटीएफ में पैसिव निवेश पर सक्रिय रूप से प्रबंधित योजनाओं के मुकाबले कम शुल्क लगता है। इनके अन्य लाभ क्या हैं?
पैसिव निवेश में, शुल्क बेहद महत्वपूर्ण योगदान देता है। निवेशक कम शुल्क (खासकर दीर्घावधि निवेश के लिए) की महत्ता को समझते हैं। एसऐंडपी 500 को 1970 के दशक में शुरू किया गया था और आज यह दुनिया का सबसे बड़ा इंडेक्स है। इससे पता चलता है कि यह न सिर्फ दशकों से अस्तित्व में बना हुआ है बल्कि इसने निवेशकों के लिए बड़ी वैल्यू भी तैयार की है।
निवेशकों को वैश्विक निवेश के संदर्भ में क्या करना चाहिए?
पूरे अमेरिका, यूरोप, एशिया के कुछ हिस्सों में निवेशकों का वैश्विक शेयर बाजारों में 20-40 प्रतिशत निवेश आवंटन है। वैश्विक निवेश अब भारत में भी तेजी से बढ़ रहा है। विविधता के लिए आपके पोर्टफोलियो में न्यूनतम 15 से 20 प्रतिशत (एक या दो) वैश्विक फंड होने चाहिए। चार-पांच घरेलू म्युचुअल फंड रखना विविधता नहीं है, क्योंकि भारतीय म्युचुअल फंड 90 प्रतिशत से ज्यादा सह-संबद्घ हैं।