कंपनियां

NTPC के खिलाफ 1,981 करोड़ रुपये का मध्यस्थता फैसला खारिज

एनटीपीसी के खिलाफ मध्यस्थता फैसला ओपी जिंदल समूह की इकाई जिंदल इन्फ्रालॉजिस्टिक्स लिमिटेड (जिंदल आईटीएफ) के लिए था।

Published by
भाविनी मिश्रा   
Last Updated- February 04, 2025 | 6:45 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनटीपीसी के खिलाफ 1,981 करोड़ रुपये का मध्यस्थता फैसला रद्द कर दिया है। 30 जनवरी के अपने निर्णय (सोमवार को अपलोड) में उच्च न्यायालय के एकल पीठ ने कहा कि मध्यस्थता फैसला ‘स्पष्ट रूप से अवैध और अनुचित’ था।

उच्च न्यायालय के 30 जनवरी के आदेश में कहा गया, ‘न्यायालय का मानना है कि विवादित निर्णय को पूरी तरह से रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि यह गलत आधार पर पारित किया गया है और यह ‘विकृत’ और ‘स्पष्ट रूप से अवैध’ की श्रेणी में आता है। संबंधित पक्ष उचित कानूनी उपाय का लाभ उठाने के लिए स्वतंत्र होंगे।’

एनटीपीसी के खिलाफ मध्यस्थता फैसला ओपी जिंदल समूह की इकाई जिंदल इन्फ्रालॉजिस्टिक्स लिमिटेड (जिंदल आईटीएफ) के लिए था। यह मध्यस्थता फैसला पश्चिम बंगाल में फरक्का ताप विद्युत संयंत्र तक कोयला पहुंचाने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे के निर्माण में विलंब की वजह से सुनाया गया था।

वर्ष 2011 में, एनटीपीसी, जिंदल आईटीएफ और इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने विद्युत संयंत्र के लिए नैशनल वाटरवे 1 के जरिये कोयले की ढुलाई के संबंध में सात वर्षीय त्रिपक्षीय समझौता किया था। फरक्का संयंत्र का प्रबंधन और नियंत्रण एनटीपीसी के पास है तथा उसने आयातित कोयले की ढुलाई के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु जिंदल आईटीएफ को एनटीपीसी ने अनुबंधित किया था। कथित बुनियादी ढांचा दो चरणों में पूरा किया जाना था, जिसमें पहला चरण 15 महीने (समझौते पर हस्ताक्षर की तारीख से) में पूरा होना था जबकि दूसरे चरण का निर्माण 24 महीने में पूरा किए जाने की योजना थी।

निर्माण कार्य में विलंब के बाद एनटीपीसी ने जिंदल आईटीएफ के साथ अपना यह समझौता रद्द कर दिया। जिंदल आईटीएफ ने 2016 के आखिर में एनटीपीसी के खिलाफ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की थी।

First Published : February 4, 2025 | 6:13 AM IST