आयात की इजाजत के बाद भी चीनी में गिरावट की आस नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 1:32 AM IST

‘टन टू टन’ के आधार पर चीनी के आयात की इजाजत के बावजूद चीनी बाजार में गिरावट की संभावना नजर नहीं आ रही है। साथ ही आयातित कच्ची चीनी को सफेद करने की प्रक्रिया में भी कठिनाई आने की बात कही जा रही है।
मिल मालिकों का कहना है कि चीनी की घरेलू मांग व पूर्ति में इस बार काफी अंतर है। घरेलू बाजार में चीनी की खपत तकरीबन 235 लाख टन है तो इस साल उत्पादन 160 लाख टन के आसपास रहने की उम्मीद है।
सरकार के पास पुराना स्टॉक भी 30-35 लाख टन से ज्यादा का नहीं है। ऐसे में आयातित चीनी से बाजार को संभालने में बहुत मदद मिलने की संभावना नहीं है। मिल मालिकों का कहना है कि अधिकतम 15 लाख टन चीनी आयात की उम्मीद है।
फिर भी खपत के लिए चीनी कम पड़ेगी। चीनी के आयात की मात्रा तय करने के लिए मिल मालिक इस पर फिलहाल विचार कर रहे हैं।  इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक आयातित चीनी को सफेद करना भी मुश्किल होगा। 
क्या है टन टू टन प्रक्रिया
हालांकि मिल मालिक ‘टन टू टन’ के आधार पर कच्ची चीनी के आयात को खुद के लिए फायदेमंद भी बता रहे हैं। उनका कहना है कि पहले ‘ग्रेन टू ग्रेन’ के आधार पर आयात की इजाजत थी।
इसके तहत जो मिल कच्ची चीनी को आयात कर सफेद बनाती थी उसे अपनी ही मिल से एक तय सीमा में उतनी ही मात्रा में चीनी का निर्यात करना होता था। लेकिन ‘टन टू टन’ के त हत अपनी ही मिल से सफेद चीनी भेजने की बाध्यता समाप्त हो गयी।
वे खुले बाजार से या फिर किसी दूसरे राज्य की चीनी मिल से भी चीनी खरीद कर उसका निर्यात कर सकते हैं।

First Published : February 18, 2009 | 10:43 PM IST