सोने के मुकाबले चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी अस्थायी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 7:29 PM IST

पिछले कुछ हफ्ते में चांदी में आई तेजी ने यह साबित कर दिया है कि जिंस की कीमतें बुनियादी तत्वों के आधार पर तय नहीं होती हैं।
इसी वक्त अप्रत्याशित खरीदारी के साथ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और हेज फंड में लॉन्ग पोजीशन से सोने ने 1000 डॉलर की बाधा को पार कर लिया।
चांदी में तेजी आमतौर पर सोने और तांबे के हिसाब से आती है। इस साल की शुरुआत में कीमतों में प्रतिशत के हिसाब से बढ़ोतरी से चांदी का प्रदर्शन बेहतर रहा।
चांदी की कीमतें पिछले साल की तुलना में एक साल में लगभग दोगुनी हो चुकी हैं। बार्कलेज कैपिटल के मुताबिक इस साल अतिरिक्त चांदी वर्ष 2008 के 1,014 टन के मुकाबले बढ़कर 2,513 टन हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि चांदी के खान से आपूर्ति में 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और यह 22,297 टन हो जाएगा।
वैसे बार्कलेज ने यह पूर्वानुमान लगाया है कि उद्योगों में चांदी की मांग में 4.7 फीसदी, फोटोग्राफिक सेक्टर में 4.2 फीसदी और आभूषण क्षेत्र में 0.4 फीसदी की गिरावट होगी। भारत, चीन और तुर्की के लोगों के लिए सोना खरीदना बहुत मुश्किल हो रहा है क्योंकि इसकी बढ़ती कीमतें आम आदमी के बूते के बाहर हो गई हैं। ऐसे में गहना निर्माता सोने के बजाय चांदी का विकल्प अपना रहे हैं।
हालांकि बुनियादी तत्व चांदी के पक्ष में नहीं रहते हैं। चांदी को तांबे के लिहाज से चलना चाहिए जबकि यह अक्सर सोने की कीमतों के लिहाज से बढ़ती-घटती है। मौजूदा परिस्थितियों में चांदी कीमतें 14.60 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस होने से निवेशकों और सट्टेबाजों का ऐसा मानना है कि इस धातु ने तेजी के इस माहौल में भी बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है।
हालांकि अगर सोने की तरह ही चांदी की खरीदारी होने लगे तो फिर बात बन सकती है। बार्कलेज और मॉगर्न स्टैनले के अधिकारियों का कहना है कि चांदी की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इस साल बार्कलेज 11.80 डॉलर प्रति औंस की औसत कीमत पर दांव लगा रहा है। जबकि मॉगर्न स्टेनले 11 डॉलर प्रति औंस पर दांव लगा रहा है।
कीमतों में प्रतिशत के हिसाब से बढ़ोतरी होने से चांदी की सोने पर मिली यह जीत अस्थायी है। सोने के बारे में कोई बुरी खबर ही लोगों के लिए अच्छी खबर होती है लेकिन क्या चांदी के बारे में भी कोई ऐसी बात कही जाएगी।
लगभग तीन दशक पहले किसी ने कहा था कि मुश्किल दौर में भी सोने की मांग होती है। हाल के दिनों में यह मिसाल भी देखी गई कि महंगाई और मंदी के बावजूद सोने में बहुत तेजी आई। आरएबी गोल्ड स्ट्रैटजी के प्रबंधक स्टीव एलिस का कहना है, ‘वित्तीय अस्थिरता की संभावनाएं बहुत बढ़ रही है।’
ऐसे में एलिस यह मानते हैं कि वित्तीय क्षेत्र में अस्थिरता से केंद्रीय बैंकों पर भी दबाव बढ़ जाता है। मुद्रा के भाव में कमी आती है ऐसे में सोने में निवेश एक बेहतर विकल्प हो सकता है। उनके मुताबिक अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने पिछले छह महीनों से भी कम अवधि के दौरान अपने बैलेंसशीट को दोगुना किया है ताकि अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके ।
कई सर्राफा विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रा के भाव में कमी आने से सैद्धांतिक रुप से सोने की मांग में बढ़ोतरी होगी। ऐसे में कीमतें भी नीचे नहीं जाएंगी और मध्यम दर्जे के सोने का भाव 1,200 डॉलर प्रति औंस पर बना रहेगा। तकनीकी विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि सोना अपने मौजूदा 960 डॉलर पर बना रहेगा। 
चांदी की कीमतों में आ सकती है कमी
पिछले एक साल में चांदी की कीमतें लगभग दोगुनी हो चुकी हैं।
इस साल चांदी की आपूर्ति में 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और यह 22,297 टन हो जाएगी।
उद्योगों में चांदी की मांग में 4.7 प्रतिशत, फोटोग्राफी क्षेत्र में 4.2 प्रतिशत, आभूषण क्षेत्र में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना

First Published : March 10, 2009 | 5:12 PM IST