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चीनी उत्पादन 35 प्रतिशत घटने का अनुमान

Last Updated- December 10, 2022 | 1:01 AM IST

राज्य द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसानों और मिलों के बीच तनाव के चलते गन्ने की बुआई में जोरदार गिरावट दर्ज की गई है।
इसके परिणामस्वरूप इस साल चीनी के उत्पादन में इस साल अक्टूबर से सितंबर के दौरान 35 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। इस साल चीनी का कुल उत्पादन 170 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि इसके पहले 180 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। 
पिछले साल कुल 263 लाख टन टीनी का उत्पादन हुआ था। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के आंकड़ों के मुताबिक गन्ने के उत्पादन में 14.71 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और यह पिछले साल के 34 करोड़ टन से घटकर इस साल 29 करोड़ टन रह गया है।
बहरहाल गन्ने की बुआई के क्षेत्रफल में 12 प्रतिशत की गिरावट आई है और इस समय यह 44 लाख एकड़ रह गया है, जो पिछले साल 50 लाख एकड़ था।  इसकी प्रमुख वजह यह है कि गन्ना किसान, तिलहन और दाल जैसी नकदी फसलों में ज्यादा फायदा महसूस कर रहे हैं।
इसके बावजूद चीनी की कीमतें अभी भी स्थिर बनी हुई हैं, क्योंकि पिछले साल के रिकॉर्ड उत्पादन से अभी भी चीनी का स्टॉक बचा हुआ है। इस सप्ताह वासी मिल डिलिवरी की कीमतें 30-40 रुपये तक गिरीं और एस-30 किस्म की कीमतें 2025-2050 रुपये प्रति क्विंटल रहीं।
वहीं एम30 की कीमतें गुरुवार को 2080-2150 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहीं। चीनी की नाका डिलिवरी  में भी गिरावट दर्ज की गई और एस30 की दरें 2080-2100 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहीं। एम30 किस्म 2010-2180 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहीं।
वासी की हितेंद्र कुमार ठाकरसी ऐंड कंपनी के राजेंद्र शाह का कहना है कि सरकार कच्ची और सफेद दोनो चीनी के आयात को अनुमति दे रही है, जिसकी वजह से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। आगामी एक महीने में चीनी की कीमतें 150 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हो सकती हैं।
बहरहाल महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की ज्यादातर चीनी मिलों ने पेराई का काम बंद करना शुरू कर दिया है। शाह ने कहा कि 15 मार्च तक तो सभी मिलें पेराई का काम बंद कर देंगी।
किसानों को गुड़ इकाइयों से चीनी मिलों की तुलना में बेहतर कीमतें मिली हैं। इसकी वजह से उन्होंने चीनी मिलों से मुंह मोड़ लिया है और चीनी मिलों को गन्ने की भारी किल्लत का सामना करना पड़ा है।
हालिया फिच रेटिंग रिपोर्ट में चीनी के बारे में कहा गया है, ‘चीनी आवश्यक जिंस के अंतर्गत आती है और इस पर सरकार का नियंत्रण होता है। इसलिए इसकी कीमतें एक निश्चित सीमा में बंधी रहेंगी, क्योंकि सरकार समय समय पर इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाती है। गन्ने की कीमत अधिक होने की वजह से मिलों का फायदा कम रहेगा। साथ ही मिलों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल भी नहीं हो सका है।’

First Published - February 13, 2009 | 11:00 PM IST

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