महाराष्ट्र में होने जा रहे विधान सभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा चीनी मिलों से खरीदे जाने वाले एथनॉल का खरीद भाव बढ़ाने जा रही है। सरकार इस माह से शुरू 2024-25 विपणन सत्र के लिए भाव 3 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा सकती है।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रिसमूह व निर्णय लेने वाले अन्य निकायों की मंजूरी के बाद अगले कुछ दिन में मंत्रिमंडल का फैसला आ सकता है। गन्ने के रस और बी हैवी मोलैसिस से बने एथनॉल की कीमत में भी बढ़ोतरी होगी, इसके उत्पादन की अनुमति करीब एक साल के बाद हाल में दी गई है।
2023-24 एथनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) में गन्ने के रस के मोलैसिस से बने एथनॉल का खरीद भाव 65.61 रुपये लीटर और बी हैवी मोलैसिस से बने एथनॉल की कीमत 60.73 रुपये प्रति लीटर तय की गई थी।
सी-हैवी मोलैसिस से उत्पादित एथनॉल का खरीद भाव 2023-24 विपणन वर्ष के लिए 49.41 रुपये लीटर तय किया गया था, लेकिन बाद में इसे 6.87 रुपये लीटर बढ़ाकर 56.28 रुपये लीटर कर दिया गया।
मोलैसिस से एथनॉल उत्पादन के लिए मिलों को प्रोत्साहित करने के हेतु विशेष प्रोत्साहन तब दिया गया था, जब अन्य दो माध्यमों गन्ने के रस और बी-हैवी मोलैसिस से एथनॉल उत्पादन पर रोक लगा दी गई थी।
भारत में केंद्र सरकार यह तय करती है कि तेल विपणन कंपनियां, चीनी मिलों से किस भाव पर मोलैसिस से बना एथनॉल खरीदेंगी। यह एक तय फॉर्मूले के आधार पर घोषित किया जाता है।
खराब अनाज (डीएफजी) और मक्के से बने एथनॉल की कीमत डिस्टिलरीज और ओएमसी के बीच आपसी सहमति के आधार पर तय की जाती है।
गन्ना और अनाज आधारित डिस्टिलरीज ने 30 सितंबर 2024 तक 7.17 अरब लीटर एथनॉल की आपूर्ति के लिए समझौता किया था, जिसमें से 5.85 अरब लीटर (करीब 82 फीसदी) की आपूर्ति की जा चुकी है। इसमें से 30 सितंबर 2024 तक 5.85 अरब लीटर में से 2.51 अरब लीटर गन्ने से बने एथनॉल और शेष खराब अनाज, मक्के व अतिरिक्त चावल से बने एथनॉल की आपूर्ति हुई।
कुछ खबरों के मुताबिक विपणन वर्ष 2024-25 में तेल विपणन कंपनियों ने 9.16 अरब लीटर एथनॉल के लिए बोली आमंत्रित की थी। भारत ने कुछ माह पहले पेट्रोलियम में 14 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) ने हाल में सरकार को लिखे एक पत्र में कहा था कि एफआरपी बढ़ाए जाने के बावजूद एथनॉल की कीमत में बढ़ोतरी से देरी किए जाने और चीनी का एथनॉल में इस्तेमाल घटाने के दिसंबर 2023 के फैसले से चीनी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इसने सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का भी अनुरोध किया था, जिसमें 2018-19 से कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इंडियन शुगर ऐंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने हाल के एक बयान में अनुमान लगाया था कि अक्टूबर से शुरू 2024-25 सीजन में भारत का कुल चीनी उत्पादन 333.3 लाख टन रहेगा, जो पिछले साल के 340.6 लाख टन से थोड़ा अधिक है।
बहरहाल 2024-25 का ओपनिंग स्टॉक करीब 85 लाख टन है, इसलिए चीनी की कुल उपलब्धता इस साल करीब 420 लाख टन रहने की संभावना है।