घरेलू हॉट-रोल्ड कॉइल (एचआरसी) की कीमतों में मजबूत तेजी के कारण जुलाई-दिसंबर 2020 के दौरान जून-दिसंबर 2020 के 36,250 रुपये प्रति टन के घरेलू स्तर की तुलना में लगभग 54 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस्पात की कीमतों में भी 56 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी।
उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने वाले उद्योगों के प्रतिरोध से कीमतों की पुन: वापसी हुई और ज जनवरी 2021 में कीमतें 58,000 रुपये प्रति टन के रिकॉर्ड तक पहुंची। फिलहाल ये कीमतें 56,000 रुपये के आसपास कारोबार कर रही हैं।
स्टील की बढ़ची कीमतों के चलते उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने वाले उद्योगों के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने केंद्रीय बजट 2021-22 में, स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क को 12.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत करने की तथा बड़े उत्पाद पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत करने की घोषणा की।
आईसीआरए का मानना है कि स्टील उत्पादों पर शुल्क में कटौती से उनके आयात और अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे और घरेलू स्टील निर्माताओं पर उसके निकट के मूल्य निर्धारण दबाव बढ़ेगा।
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कॉर्पोरेट सेक्टर रेटिंग) और समूह प्रमुख जयंत रॉय ने रिपोर्ट का हवाले से देते हुए कहा, ‘दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देश, जिसके साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) है, से आयात में कमी का कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, चीन और अन्य गैर-एफटीए देशों से आयात अब अधिक लागत-प्रतिस्पर्धी बन जाएगा। नवंबर-मार्च के दौरान घरेलू मांग कम होने के कारण चीन से होने वाले एचआरसी निर्यात की कीमतों में जनवरी 2021 में पहले ही 10 प्रतिशत की गिरावट देखी गई हैं, और मौजूदा कीमतों पर, नए शुल्क दरों के साथ चीन से आई एचआरसी की कीमतें 10 प्रतिशत की छूट पर उपलब्ध होगी। इसलिए बाकी सब कुछ उसी तरह रहेगा।’