खनन क्षेत्र में बड़े सुधार की तैयारी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 9:15 PM IST

कोयले की वाणिज्यिक नीलामी के सफल आयोजन के बाद केंद्र सरकार अब गैर कोयला खनन क्षेत्र में समग्र सुधारों का पैकेज पेश करने वाली है। इसमें खनिजों की वाणिज्यिक बिक्री के लिए खदानों की पेशकश और उत्पादन को निजी इस्तेमाल से न जोड़ा जाना शामिल है।
इसमें निजी इस्तेमाल के लिए खनन करने वाले मौजूदा खननकर्ताओं को भी अतिरिक्त खनिज की खुले बाजार में बिक्री करने की अनुमति संभव है। इसके अलावा निजी क्षेत्र को शुरुआती अन्वेषण कार्य करने के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) से धन हासिल करने की अनुमति होगी। केंद्र सरकार को इस समय इस ट्रस्ट में रायल्टी भुगतान से हर साल करीब 800 करोड़ रुपये मिलते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (पीएसयू) ही कर सकती हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि एक बार अंतर मंत्रालयी चर्चा पूरी होने के बाद इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा जोगा। पिछले सप्ताह केंद्रीय कोयला, खनन और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था, ‘हमने कोयला क्षेत्र में सुधार किए हैं।  हम चाहते हैं कि इसका विस्तार खनन क्षेत्र तक किया जाए। लेकिन गैर कोयला खनिजों की नीलामी और सुधारों को लागू करना राज्यों पर निर्भर है। अगले 40-50 दिन में हम अन्य खनिजों के लिए सुधार पेश करेंगे।’
केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में कोयला खदानों की नीलामी से निजी इस्तेमाल की शर्त को खत्म कर दिया था। हालांकि इस प्रावधान को खत्म किया जाना अन्य खनिजों के हिसाब से भी उचित है, लेकिन कानूनी प्रावधान यह राज्यों पर छोड़ते हैं कि वे खदानों को नीलामी के लिए चिह्नित करें। खदानों की नीलामी खदान एवं खनिज (नियमन एवं विकास) अधिनियम 2015 के बाद शुरू हुई है।
अधिकारियों ने कहा कि नए कदमों में मौजूदा कैप्टिव खदानों के लिए भी शर्तें उदार की गई हैं, जिससे गतिशील बाजार के अनुरूप कानून बन सके। इसमें खदान पाने वाली कंपनी की बिक्री के समय खनन पट्टे के आसान हस्तांतरण की अनुमति शामिल है।
वहीं उत्पादन शुरू करने को लेकर समयसीमा व निगरानी सख्त कर दी गई है, जिससे कोई देरी न होने पाए। इस समय एमएमआरडीए के तहत नीलाम किए गए करीब 52 ब्लॉकों में विभिन्न वजहों से उत्पादन नहीं शुरू हो सका है। एक अधिकारी ने कहा, ‘इस समय केवल आंतरिक समय सीमाएं हैं, लेकिन राज्यों की कुछ मध्यस्थ समयसीमाएं होती हैं और कोयले के मामले में कुछ व्यवस्था दी गई है, जिसे खनिजों पर भी लागू किया जाएगा।’ स्टांप शुल्क को लेकर अस्पष्टता है कि क्या यह जमीन के मूल्य के मुताबिक होगी या खनिज के मूल्य के हिसाब से। अधिकारी ने कहा कि एक समान नियम बनाकर इस विसंगति को भी दूर किया जाएगा।
एनएमईटी के मौजूदा नियम जून 2015 में लागू किए गए थे, जिसमें बदलाव कर निजी क्षेत्र की इकाइयों को खनन कार्य की अनुमति दी जाएगी। पट्टाधारक के लिए एनएमईटी में 2 प्रतिशत रॉयल्टी का अंशदान अनिवार्य किया जाएगा। इस धन का इस्तेमाल खनन अन्वेषण गतिविधियों को तेज करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे जमा खनिजों को खनन की स्थिति में लाया जा सके।
इस समय सिर्फ 5 अधिसूचित पीएसयू को बगैर लाइसेंस लिए कामकाज करने की अनुमति है। इनमें राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड, कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड और मैगनीज ओर (इंडिया) लिमिटेड शामिल हैं।
प्राथमिक रूप से जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई) क्षेत्रीय अन्वेषण में लगा है, जो यूएनएफसी के जी2 और जी1 स्तर पर खनिजों के अन्वेषण के ब्योरे पर काम कर रहा है। जीएसआई द्वारा अन्वेषण के बाद चिह्नित खनिज की विस्तृत अनवेषण गतिविधियां तेज की गई हैं। एक अधिकारी ने कहा कि इस क्षेत्र में निजी इकाइयों के प्रवेश से अन्वेषण को बल मिलने और एनएमईटी का कामकाज हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय के तर्ज पर होने की संभावना है।
कोयला व कुछ अन्य प्रमुख खनिजों का प्रबंधन केंद्र सरकार करती है, जबकि सूक्ष्म खनिजों का नियमन राज्य सरकारें करती हैं।
एमएमडीआरए की धारा 3 (ई) के मुताबिक सूक्ष्म खनिज का मतलब बिल्डिंग स्टोन, ग्रैवल, सामान्य मिट्टी, वर्णित मकसद से इतर इस्तेमाल होने वाले सामान्य बालू व कोई अन्य खनिज शामिल है, जिन्हें केंद्र सरकार सूक्ष्म खनिज घोषित करती है।
प्रमुख खनिज में अधिनियम की पहली अनुसूची में चिह्नित खनिज शामिल हैं, हालांकि एमएमआरडीए में प्रमुख खनिजों की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं दी गई है। ऐसे में जिस खनिज को सूक्ष्म खनिज के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है, वे प्रमुख खनिज माने जाते हैं।
फरवरी 2015 में केंद्र सरकार ने 31 खनिजों को सूक्ष्म खनिज के रूप में परिभाषित किया था।

First Published : November 15, 2020 | 11:19 PM IST