करीब 8 तिमाहियों से लगातार सुधार के बाद भारत के कपड़ा क्षेत्र की संपत्ति की गुणवत्ता खराब हुई है। दिसंबर 2020 में इस क्षेत्र की सकल गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बढ़कर 16.92 प्रतिशत हो गई है, जो सितंबर 2020 में 15.92 प्रतिशत थी। क्रेडिट ब्यूरो सीआरआईएफ-सिडबी की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 के कारण आर्थिक गिरावट आई और इस क्षेत्र में ऋण की मांग व संपत्ति की गुणवत्ता पर असर पड़ा।
दिसंबर, 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक सूक्ष्म उधारी लेने वालों की चूक बढ़कर 10.78 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर, 2020 में 10.23 प्रतिशत थी। छोटे उधारी लेने वालों की ओर से भी संकट के संकेत मिले। इस सेग्मेंट में सकल एनपीए दिसंबर, 2020 में बढ़कर 12.35 प्रतिशत हो गया, जो सितंबर, 2020 में 11.39 प्रतिशत था। सीआरआईएफ रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र द्वारा दिसंबर, 2020 तक ली गई कर्ज की कुल राशि 1.62 लाख करोड़ रुपये रही, जिसमें पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है। विनिर्माण गतिविधियां निरस्त रहने के कारण ऐसा हुआ है। यह सुस्ती कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए मार्च, 2020 में लगे लॉकडाउन के कारण आई।
दिसंबर, 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक इस क्षेत्र में सक्रिय कर्ज (मात्रा के मुताबिक) की संख्या 4.26 लाख है। मझोले क्षेत्र में संपत्ति गुणवत्ता प्रोफाइल में सुधार आया है और दिसंबर, 2020 में जीएनपीए गिरकर 15.41 प्रतिशत रह गया है, जो इसके पहले के साल में 18.35 प्रतिशत था। मात्रा के आधार पर देखें तो कुल कर्ज के 85 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मझोले क्षेत्र के कर्जदार हैं और दिसंबर 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक इनकी संख्या 5 लाख के आसपास है।
कपड़ा इकाइयों को कर्ज के बंटवारे के हिसाब से देखें तो सीआरआईएफ ने कहा है कि राज्य स्तर पर महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा कर्ज मिला है और इसकी हिस्सेदारी इस क्षेत्र को दिए गए कुल कर्ज में 25 प्रतिशत है।
कपड़ा व परिधान विनिर्माण के प्रमुख 13 क्षेत्रों की इस कर्ज पोर्टफोलियो में कुल हिस्सेदारी दिसंबर, 2020 तक करीब 80 प्रतिशत थी।
करीब सभी राज्यों में कपड़ा व परिधान विनिर्माण के जिले हैं। मुंबई और सूरत जैसे कुछ जिलों का कर्ज पोर्टफोलियो दिसंबर, 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।