नई आवक के दबाव में मक्के के भाव धड़ाम से गिर गए हैं। इन दिनों रबी सीजन वाले मक्के की बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना आदि उत्पादक राज्यों में आवक हो रही है और इसकी पैदावार बढ़ने का अनुमान है। जिससे इसके भाव गिरकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे आ चुके हैं।
इस माह मक्के दाम 25 फीसदी गिरकर एमएसपी से भी नीचे
रबी सीजन के मक्का उत्पादन में 30 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी बिहार की है। बिहार स्थित मक्के की बेंचमार्क गुलाबबाग मंडी में मक्का 1,870 से 1,870 रूपये क्विंटल बिक रहा है। ये भाव मक्के के न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,962 रुपये क्विंटल से कम है। इस माह के शुरुआत में मक्का 2,400 से 2,500 रुपये क्विंटल बिक रहा था। इस तरह इस माह मक्के के भाव 25 फीसदी तक गिर चुके हैं। महाराष्ट्र की मंडियों में भी भाव 200 से 300 रुपये गिरकर 1,800 से 2,000 रुपये क्विंटल रह गए हैं।
अधिक उत्पादन से आवक भी ज्यादा, इसलिए भाव नरम
जिंस विश्लेषक और एग्रीटेक कंपनी green agrevolution pvt ltd में रिसर्च हेड इंद्रजीत पॉल ने बताया कि कारोबारी अनुमान के मुताबिक इस साल रबी सीजन में मक्का का उत्पादन 105 लाख टन रहने का अनुमान है, पिछले रबी सीजन में यह आंकड़ा 90 लाख टन था। इस महीने से नये मक्के की आवक शुरू हो गई है और पिछले 10 दिन से यह जोर पकड़ रही है। इस माह अब तक करीब 2.49 लाख टन मक्के की आवक हो चुकी है, जो पिछले साल समान अवधि में करीब 2.02 लाख टन मक्के की आवक से करीब 23 फीसदी अधिक है। पॉल कहते हैं कि पिछले महीने के अंत में मक्का 2,400 से 2,500 रुपये क्विंटल बिक रहा था, जो अब नई आवक के दबाव में एमएसपी से नीचे आ गया है। महाराष्ट्र के मक्का कारोबारी मदनलाल ने कहा कि नई आवक का दबाव बढ़ने के बाद मक्का के भाव 300 रुपये क्विंटल तक गिर चुके हैं।
आगे ज्यादा भाव गिरने की संभावना नहीं
पॉल ने कहा कि मक्के के भाव काफी गिर चुके हैं। ऐसे में आगे इसकी कीमतों में बहुत गिरावट की संभावना नहीं है। अगले महीने से मक्के की आवक भी कमजोर पड़ने लगेगी। पोल्ट्री फीड निर्माता भी निचले भाव पर खरीद बढा सकते हैं। जिससे मक्के की कीमतों में गिरावट थमेगी। मदनलाल भी मानते हैं कि अब मक्के की कीमतों में गिरावट के आसार कम हैं। अभी तक लोग खरीदारी के लिए भाव नीचे आने का इंतजार कर रहे थे। चूंकि अब भाव काफी नीचे आ चुके हैं। ऐसे में खरीद बढ़ने से भाव सुधर सकते हैं।