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Maharashtra: सूखे की मार से चीनी उत्पादन में कमी की आशंका!

इस साल असली चिंता उत्पादन में कमी को लेकर है। सूखे की गन्ने पर तगड़ी मार पड़ने की संभावना है, क्योंकि जुलाई के पंद्रह दिनों को छोड़कर बरसात के मौसम के ढाई महीने सूखे रहे है।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- September 04, 2023 | 7:45 PM IST

चीनी मिलों और गन्ना किसानों के मुद्दों को महाराष्ट्र सरकार पेराई सीजन शुरू होने से पहले ही हल कर लेना चाह रही है। चीनी मिलों में गन्ना तौल पर हेरा फेरी की शिकायत को गंभीरता से लिया जा रहा है। राज्य सरकार ने तौल में पारदर्शिता लाने और किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए सभी चीनी मिलों को डिजिटल तौल कांटे लगाने का आदेश दिया है। सरकार पेराई सीजन समय पर शुरू कराने की कोशिश में हैं जबकि सूखे के कारण इस बार पेराई देर से शुरू होने की आशंका जताई जा रही है जिससे राज्य के चीनी उत्पादन में और भी कमी आएगी।

चीनी मिलों को डिजिटल तौल कांटे लगाने का आदेश

गन्ने की तौल में पारदर्शिता के दृष्टिगत इलेक्ट्रानिक तौलन पट्ट (वेब्रिज) स्थापित करने के निर्देश दिए गये है। सरकारी आदेश के मुताबिक कुछ चीनी मिलों ने डिजिटल तौल कांटे लगाना शुरू कर दिया है। कुछ चीनी मिलों ने इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया है। इसलिए इस वर्ष पेराई सीजन शुरू होने से पहले किसानों के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए वैधता नियंत्रक ने मिलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों की जांच और क्या ऐसे वाहनों में डिजिटल लोड सेल का प्रयोग किया गया है या नहीं इसकी जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का उपयोग करने का आदेश दिया है।

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देर से शुरू होगा गन्ना पेराई सीजन

आम तौर पर गन्ना पेराई सीजन अक्टूबर से जून के बीच का होता है। पिछले साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से राज्य में पेराई शुरू हो गई थी लेकिन इस साल पेराई सीजन देर से शुरू होगा। अभी तक किसी भी फैक्ट्री ने सीजन जल्दी शुरू करने की मांग नहीं की है।

चीनी मिलों को पूरी क्षमता के साथ चलाने के लिए परिपक्व गन्ने की जरूरत है, इसलिए पेराई सीजन नवंबर से शुरू होने की बात कही जा रही है। सीजन शुरू करने का फैसला मंत्रिस्तरीय समिति की बैठक में लिया जाएगा। इस साल असली चिंता उत्पादन में कमी को लेकर है। सूखे की गन्ने पर तगड़ी मार पड़ने की संभावना है, क्योंकि जुलाई के पंद्रह दिनों को छोड़कर बरसात के मौसम के ढाई महीने सूखे रहे है।

घट सकता है चीनी का उत्पादन

राज्य में सूखे का खतरा मंडरा रहा है। कोल्हापुर को छोड़कर राज्य के गन्ना बेल्ट में स्थिति गंभीर हो गई है। सोलापुर और मराठवाड़ा में पशु चारे की कमी हो गई है और किसान चारे के लिए गन्ने का इस्तेमाल करने लगे हैं। चीनी उद्योग के विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि, यदि राज्य सरकार ने सूखे से राहत के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए तो इसका सबसे प्रतिकूल प्रभाव आने वाले चीनी सीजन पर पड़ेगा। आने वाले सीजन में राज्य में चीनी का उत्पादन इस साल के 105 लाख टन से घटकर 90 लाख टन होने की संभावना है।

किसान पशुओं के चारे के लिए कर रहे गन्ने का इस्तेमाल

किसानों ने गन्ना फसल चारे के लिए बेचना शुरू कर दिया है जिससे राज्य की चीनी मिलों को पेराई के लिए गन्ने की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे ने कहा कि राज्य में बारिश की कमी के कारण स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है। अगर अब भी बारिश नहीं हुई तो राज्य में गन्ने का उत्पादन 25 फीसदी तक घटने से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि राज्य सरकार तुरंत चारा शिविर शुरू कर दे तो पशु चारे के लिए गन्ने का उपयोग कुछ हद तक रोका जा सकता है।

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फैक्ट्रियों को हो सकता है करोड़ों का नुकसान

चीनी सीजन 15 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच शुरू करना होगा, क्योंकि चीनी सीजन की शुरुआत में देरी से चारे के लिए अधिक गन्ने का उपयोग हो सकता है। इसका सीधा असर चीनी मिलों के पेराई पर पड़ सकता है। यदि चीनी मिलें पूरी क्षमता से पेराई नहीं कर पाई तो चीनी और एथेनॉल का उत्पादन घट सकता है। साथ ही फैक्ट्रियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है।

गन्ना बेल्ट में बारिश की कमी

2021-22 में महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 137 लाख टन था। इस साल यह 105 लाख टन पर आ गया। 2023-24 सीजन में, महाराष्ट्र के साथ-साथ कर्नाटक के गन्ना बेल्ट में भी बारिश की कमी के कारण उत्पादन में और गिरावट आने की आशंका है। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने अगस्त, 2023 में महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन में 15 प्रतिशत की गिरावट और 103 लाख टन चीनी उत्पादन की भविष्यवाणी की थी।

First Published : September 4, 2023 | 7:45 PM IST