बांग्लादेश की ओर जा रहा कानपुर का चमड़ा कारोबार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:42 AM IST

पहले प्रदूषण नियंत्रण और फिर कोरोना संकट के चलते दो साल लगातार हुई महीने भर से ज्यादा की तालाबंदी ने उत्तर प्रदेश के चमड़ा उद्योग की कमर तोड़ दी है। चमड़े का ज्यादा कारोबार यहां से सिमट बंगलादेश की ओर जा रहा है।
प्रदेश में टैनरियों का गढ़ कहे जाने वाले कानपुर में कारोबारियों के पास ऑर्डर घटता जा रहा है तो काम करने वाले कामगार भी अपने घरों को लौट गए हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान घरों को लौट गए दिहाड़ी मजदूर अभी लौटे नहीं है और प्रदूषण नियंत्रण के नए प्रावधानों के चलते जो टैनरियां चल भी रही हैं उनमें भी क्षमता का आधा काम ही हो रहा है।
टैनरी मालिकों का कहना है कि दुर्दिन में प्रदेश सरकार ने सीवेज ट्रीटमेंट के लिए लिया जाने वाला शुल्क भी 3 गुना बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं, कानपुर में बन रहे नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए टैनरियों को 25 करोड़ रुपये चुकाने का फरमान भी जारी कर दिया गया है। हाल ही में कानपुर के जाजमऊ में 94 टैनरियों को बिजली काटने की नोटिस भी जारी कर दी गई है।
जाजमऊ टैनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष नैयर जमाल का कहना है कि जूता, जैकेट, बटुए सहित अन्य चमड़े का सामान बनाने वाली कंपनियों को जब समय पर कच्चा माल नहीं मिलेगा तो जाहिर वो कहीं और का रुख करेंगे। इन हालात में लोगों को बांग्लादेश सबसे मुफीद बाजार लग रहा है, जहां टैनरियां भी हाल फिलहाल में खूब खुली हैं और काम भी निर्बाध गति से हो रहा है। उनका कहना है कि बीते एक साल से भी ज्यादा समय हो गया जब सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर सभी टैनरियों को 15-15 दिन के रोटेशन पर चलाने का आदेश जारी कर दिया है। सरकार के इस आदेश के बाद अपने आप टैनरियों का काम घटकर आधा रह गया। बीते साल दो महीने तक चले लॉकडाउन में हजारों दिहाड़ी मजदूरों अपने घरों को वापस लौटे थे जिन्हें दोबारा काम पर आने में महीनों लगे और काम प्रभावित हुआ। इस बार तो लॉकडाउन शुरू होते ही डर के मारे बाहर के मजदूर वापस लौट गए और अभी खुलने के बाद भी जल्दी वापस नहीं आने वाले हैं।
नैयर का कहना है कि पहले से ही घाटा झेल रहे टैनरी मालिकों पर हाल ही में जलनिगम ने एसटीपी चार्ज बढ़ा कर और भी बोझ लाग दिया है। पहले जहां टैनरी मालिकों को प्रति हाइड (जानवर) 6 रुपये एसटीपी चार्ज देना पड़ता था वहीं अब ये बढ़कर 20.35 रुपये हो गया है। नए एसटीपी के लिए भी टैनरी मालिकों को पैसा देना है। इन हालात में काम भी घटेगा और टैनरी भी बंद ही होगी। चमड़ा कारोबारी इरफान बताते हैं कि कानपुर के जाजमऊ इलाके में इस समय 264 टैनरियां चल रही हैं जिनमें से ही 94 की बिजली कटने जा रही है। इस तरह कभी 400 से ज्यादा टैनरी वाले कानपुर में बमुश्किल 170 टैनरी की बचेंगी। काम के नाम पर कई जगह तो खानापूरी ही हो रही है और कुछ टैनरियों में पहले से पड़ा कच्चा माल निपटाया जा रहा है।
गौरतलब है कि कानपुर की टैनरियों में तैयार चमड़ा देश-विदेश की लेदर कंपनियों को जाता है। देश में जूते, जैकेट और सैडलरी उद्योग में इसकी खपत होती है तो विदेश में एक्सेसरीज के लिए खूब चमड़ा मंगाया जाता है।
कानपुर मे टैनरियों का सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ रुपये से ऊपर का है। जो बीते साल घटकर 1200 करोड़ रुपये पर आ गया है और इस साल और भी घट सकता है। कानपुर का धंधा मंदा पडऩे के चलते उत्तर प्रदेश में ही आगरा के जूता निर्माता पहले ही चेन्नई से माल मंगाने लगे थे और अब बाकी जगहों पर बांग्लादेश ने घुसपैठ कर ली है।

First Published : June 14, 2021 | 12:07 AM IST