शीर्ष न्यायालय के निर्देशन में झारखंड की खदान नीलामी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 9:32 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लॉकों का आवंटन उसके दिशानिर्देशों के अंतर्गत होगा। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि अदालत के आदेश का असर केवल झारखंड के खदानों पर पड़ेगा जिसमें से पांच खदान नीलामी के मौजूदा चरण में हैं।
अदालत का अंतरिम आदेश ऐसे समय पर आया है जब केंद्र पहले ही 19 में से 17 खदानों को प्रस्ताव के तहत दे चुका है।
अदालत के आदेश का उल्लेख करते हुए पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसके बाद अब लाइसेंस, पट्टा आदि का आदेश अस्थायी होगा जिसके लिए अदालत से अंतिम आदेश
दिया जाएगा।’
यह मामला कोयले की वाणिज्यिक बिक्री के लिए खनन अधिकारों की नीलामी के केंद्र के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार की ओर से दायर मामले से जुड़ा है। केंद्र सरकार ने गैर-कैप्टिव इस्तेमाल के लिए कोयला खनन को सक्षम करने के लिए मई में कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन कर दिया था।
दो चरण की नीलामी प्रक्रिया सितंबर में शुरू हुई थी जब कंपनियों ने अपनी तकनीकी बोली जमाई कराई थी। इसमें पात्रता और प्रस्ताव पर 38 कोयला ब्लॉकों में से 19 के लिए आरंभिक मूल्य निर्गम था। 19 में से पांच झारखंड के हैं जिनमें से चार की बोली पहले ही लग चुकी है।
झारखंड के खदानों के लिए विजेता बोलीदाताओं में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज शामिल है। यह मौजूदा एकमात्र ऐसी कंपनी है जो राज्य की खदानों में रुचि ले रही है। कंपनी ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
कोयला नीलामी में हिस्सा लेने वाले उद्योग के एक विशेषज्ञ ने कहा कि कि अगर उच्चतम न्यायालय इसका विस्तार अन्य राज्यों की खदानों तक करता है तब भी गुरुवार को खत्म होने जा रहे मौजूदा बोली के दौर चलता रहेगा क्योंकि बोलीकर्ताओं ने पहले ही हिस्सा ले लिया है और वे ई-नीलामी के वित्तीय दौर से वापस नहीं हो सकते।

First Published : November 7, 2020 | 12:45 AM IST