किसानों के विरोध प्रदर्शन वापस लेने के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य संबंधित मसलों के समाधान के लिए 29 सदस्यों वाली समिति के गठन का आश्वासन दिया गया था, जिसमें केंद्र सरकार ने 3 जगहें संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेम) के प्रतिनिधियों के लिए खाली रखी थी।
खाली जगह तब भरी जाएगी जब एक साल लंबे चले किसान संघर्ष के पीछे रहा प्रमुख समूह एसकेएम अपने प्रतिनिधियों के नाम भेजे। लेकिन एसकेएम के नेताओं के रुख को देखकर इसकी संभावना नहीं लगती कि यह समूह अपनी ओर से नाम भेजेगा।
एसकेएम के प्रमुख नेताओं ने समिति की रूपरेखा और कार्यक्षेत्र को लेकर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि इसमें सरकार द्वारा दिए गए मूल आश्वासन का उल्लंघन हो रहा है, जो एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाए जाने को लेकर संशोधन पर विचार कर
रही है।
किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘आज हमने संयुक्त किसान मोर्चा के गैर राजनीतिक नेताओं के साथ बैठक की। सभी नेताओं ने सरकार के पैनल को खारिज कर दिया। सरकार ने जिन तथाकथित किसान नेताओं को समिति में शामिल किया है, उनका कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर चल रहे हमारे विरोध प्रदर्शन से कुछ भी लेना देना नहीं था।’
कोहर ने कहा कि सरकार ने एमएसपी समिति में कुछ कॉर्पोरेट सदस्य भी बिठाए हैं।
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि इस समिति से उन्हें कोई लाभ नहीं होने जा रहा है क्योंकि इसका कार्यक्षेत्र ही साफ नहीं है। पंजाब व हरियाणा के किसान नेताओं ने इस समिति को खारिज किया है।
इसके अलावा किसानों के विरोध के समय प्रमुख नेता रहे योगेंद्र यादव ने कल जारी एक लंबे नोट में कुछ गैर एसकेएम किसान के प्रतिनिधियों की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए हैं, जिन्हें सरकार ने समिति में रखा है। यादव ने कहा कि 5 गैर एसकेएम किसानों के प्रतिनिधियों को समिति का हिस्सा बनाया गया है, जो वापस लिए गए कृषि कानून के घोर समर्थक हैं और वे सरकार के वफादार हैं।