जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी ने अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस (आईएसए) में आज कहा कि भारत सौर क्षेत्र में निवेश का बेहतरीन केंद्र है। उन्होंने कहा कि देश ने 100 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता विकसित कर विकासशील देशों के सामने एक उदाहरण पेश किया है।
केरी आईएसए की चौथी असेंबली में बोल रहे थे। यह बयान ऐसे समय आया है, जब कुछ सप्ताह बाद ब्रिटेन के ग्लासगो में सीओपी26 वैश्विक जलवायु सम्मेलन होने जा रहा है।
इस सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि महामारी की बाद की दुनिया में यह बहुत जरूरी हो गया है कि सभी को स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा के विकल्प दिए जाएं।
सिंह ने कहा, ‘वैश्विक समुदाय को एक साथ लाने और हमारी कवायदों को गति देने और इस तरह के कार्य की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने की जरूरत है। आईएसए दुनिया भर के उन 80 करोड़ लोगों को बिजली मुहैया सकता है, जिनकी अब तक ऊर्जा तक पहुंच नहीं है।’ सिंह ने कहा कि 2022 तक भारत 175 गीगावॉट और 2030 तक 350 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करने लगेगा। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस सीओपी21 में की गई अपनी राष्ट्रीय स्तर पर तय योगदान (आईएनडीसी) की प्रतिबद्धता पूरी करने की ओर है।
केरी ने कहा कि अमेरिका 2030 तक भारत में 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन करने के लक्ष्य का मजबूती से समर्थन करता है।
उन्होंने कहा, ‘भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में निवेश का बेहतर केंद्र है और यह आईएसए के हर सदस्त के लिए सही हो सकता है। अभी भी सौर ऊर्जा के बढऩे की दिशा में गंभीर बाधाएं हैं। भारत और आईएसए नजदीकी साझेदार हैं और 450 गीगावॉट का लक्ष्य निश्चित रूप से पूरा करने योग्य है और ऐसा किया जाएगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि 1000 गीगावॉट की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता के साथ सौर ऊर्जा 2035 तक पूरी तरह से कार्बन मुक्त बिजली क्षेत्र की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।