घरेलू और निर्यात बाजार में तिल की मांग में भारी कमी आने से कीमतों में गिरावट आ रही है। पिछले कुछ दिनों में तिल की कीमतें कम होकर 40 रुपये से 50 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रह गई हैं।
कारोबारियों को ऐसी उम्मीद है कि भविष्य में तिल की कीमतों में गिरावट आती रहेगी क्योंकि निर्यात की मांग में भी कमी आ रही है। कारोबारियों के मुताबिक हाल ही में तिल की कीमतों में 10-15 फीसदी की कमी आई है।
श्री बालकृष्णा कैनवासिंग ऐजेंट के मालिक अशोक रायचुरा का कहना है, ‘भारतीय तिल की निर्यात बाजार में कोई मांग नहीं है। दरअसल औसत अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले हमारे यहां की कीमतें 7-8 रुपये प्रति किलोग्राम ज्यादा है।
इसके अलावा सौराष्ट्र और महाराष्ट्र में कटाई के मौसम में खराब मौसम की वजह से भी तिल की गुणवत्ता को काफी नुकसान पहुंचा है।’
गुजरात में हर रोज तिल की फसल 3,500 से 4,000 बोरी लाई जाती है। जनवरी के शुरुआत में बेहतर गुणवत्ता वाली तिल का कारोबार 1,180-1,190 रुपये प्रति 20 किलोग्राम की दर से हो रहा है।
फिलहाल गुजरात के कई बाजारों में 991 क्वालिटी वाली तिल की कीमत 1,100-1,110 रुपये है और 982 क्वालिटी लगभग 1,075-1,080 प्रति 20 किलोग्राम है।
राजस्थान में इस जिंस की कीमत लगभग 4,000-5,200 रुपये प्रति क्विंटल है।भारत आमतौर पर कुल तिल उत्पादन का 90 फीसदी निर्यात करता है। लेकिन इस वक्त हालात बदल चुके हैं।
अहमदाबाद के एक कारोबारी का कहना है कि विदेशों से जो मांग आ रही थी उसमें भी लगभग 95 फीसदी की कमी आई है। मध्य पूर्व के देशों में भारत का निर्यात फिलहाल नगण्य है। विदेशी खरीदार, सूडान और इथियोपिया जैसे देशों से ही सस्ते और बेहतरीन तिल खरीदने को तवज्जो देते हैं।