सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद खाद्य तेलों की धार पतली होती नजर नहीं आ रही है।
तेल की कीमत की कमान कसने के लिए सरकार ने पिछले दो महीनों के दौरान आयात शुल्क में कटौती, व्यापारियों के स्टॉक की सीमा तय करने व तेल के वायदा पर रोक जैसी कई कवायद की। लेकिन सभी कवायदों का कचूमर निकल गया।
थोक बाजार में सोया, बिनौला, मूंगफली से लेकर सरसों तेल तक में पिछले डेढ़ महीने के दौरान 10 रुपये से अधिक की तेजी दर्ज की गयी है। आने वाले समय में इनकी कीमतों के और ऊपर जाने के साफ संकेत मिल रहे हैं। इस तेजी के लिए मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार के तेज होने के साथ देसी बाजार में स्टॉक की कमी बतायी जा रही है। अक्तूबर के पहले तक तिलहन की कोई भी नयी फसल नहीं आने को भी तेजी का एक वजह माना जा रहा है।
15 अप्रैल को दिल्ली के थोक बाजार में सोया व सरसों तेल की कीमत 60-61 रुपये प्रति लीटर थी। 18 जून को सोया तेल 71 रुपये प्रति लीटर तो सरसों तेल 72 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर नजर आया। मूंगफली तेल की कीमत 74 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गयी है, तो बिनौला 70 रुपये प्रति लीटर के भाव से बिक रहा है। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स असोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक सोया, बिनौला व मूंगफली की फसल अक्टूबर तक आएगी।
सरसों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले पहले ही कम है। स्टॉक की सीमा तय होने के कारण कारोबारी तेल रखने का कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। नैफेड के पास मुश्किल से 50 हजार टन सरसों का स्टॉक बचा है। ऐसे में अगले दो महीने में सरसों व सोया तेल की कीमत थोक बाजार में 80 रुपये प्रति लीटर के आस-पास पहुंच जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं।
डीआर एक्सपोर्ट के निदेशक हरीश कहते हैं, ‘सोया के अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से ही घरेलू बाजार इतना तेज हो गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल सोया के कच्चे तेल की कीमत 655 रुपये प्रति 10 किलोग्राम है। 10 किलोग्राम को रिफाइन करने में 30 रुपये का खर्च आता है। इसके अलावा पिछले महीने के मुकाबले तेल के आयात में भी 10 फीसदी की कमी आयी है। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक की तेजी आ सकती है।
सोया तेज होने से पामऑयल में भी तेजी आ जाती है।’ तेल के एक अन्य आयातक हरमीत खुराना कहते हैं, ‘सरकार तमाम उपाय कर चुकी है, लेकिन वह अमेरिका की बॉयोफ्यूल नीति को तो नहीं बदल सकती। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पास कोई बफर स्टॉक नहीं है। तिलहन की जो फसल हुई थी, सारा खपत हो चुका है।