ब्रेंट क्रूड की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रही है जिससे भारतीय रिफाइनरियों, उपभोक्ताओं और केंद्र सरकार पर मंडराते संकट का संकेत मिलता है।
शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड 72 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पर कारोबार कर रहा था। तेल की कीमत में यह तेजी कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के बाद बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के फिर से खुलने से साल के आगामी महीनों में मांग में तेजी की उम्मीद के कारण आया। यह सर्वाधिक प्रचलित बेंचमार्क है जिसपर वैश्विक कच्चा तेल कारोबार का करीब 75 फीसदी जुड़ा है।
कच्चे तेल की मांग को लेकर विश्लेषकों का आकलन फिलहाल 9.4 करोड़ बैरल प्रतिदिन का है जो महामारी के पूर्व के स्तरों से 60 लाख बैरल प्रतिदिन कम है। मांग को भूनाने वाले पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन एवं अन्य (ओपेक+) हैं जो दाम में और अधिक वृद्घि करने के लिए कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर रहे हैं।
भारत में डेलॉइट (ऊर्जा, स्रोत और उद्योग) के लीडर देवाशीष मिश्रा ने कहा, ‘जैसे जैसे वैश्विक आर्थिक रिकवरी जोर पकड़ रही है तेल कीमतों में इजाफा हो रहा है और ओपेक देशों के द्वारा कृत्रिम आपूर्ति दबाव के कारण कीमतों बड़ी उछाल आने का बड़ा जोखिम है। कच्चे तेल की मौजूदा कीमतों पर ही खुदरा कीमतों में आग लगी हुई है और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इंगित किया है कि ईंधन की बढ़ती कीमतों से मुद्रास्फीति में उछाल आएगी और वृद्घि की संभावना प्रभावित हो सकती है। इसी के साथ ही ईंधन कीमतों पर उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धन कर व्यापक तौर पर हमारे सार्वजनिक खर्च को सहारा देते हैं।’
भारतीय रिफाइनरियां क्रूड के भारतीय बास्केट में नजर आने वाली कीमत पर कच्चा तेल खरीदती हैं। यह भारतीय रिफाइनरियों में प्रसंस्कृत कच्चा तेल के खट्टे गे्रड (ओमान और दुबई औसत) और मीठे ग्रेड (ब्रेंट डेटेड) की मिश्रित कीमत है।
यह सामान्यतया ब्रेंट से मामूली (5 से 10 फीसदी) सस्ता होता है लेकिन कीमत वृद्घि के समान पथ पर बढ़ता है। उपभोक्ताओं के लिए मोटे तौर पर कच्चे तेल की कीमत में हरेक डॉलर की वृद्घि पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 30-35 पैसे की वृद्घि होती है। कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है।
विश्लेषकों को केंद्र की ओर से तेल कंपनियों पर और अधिक दबाव बनाए जाने की उम्मीद है। अगले वर्ष कई प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिनको ध्यान में रखते हुए उन्हें ईंधन की कीमत वृद्घि पर नियंत्रण रखने के लिए कहा जा सकता है।