अमेरिका और यूरोप से मांग में आई कमी डाल रही है रंग में भंग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 10:21 PM IST

अमेरिका और यूरोपीय संघ में आर्थिक मंदी का प्रभाव डाईस्टफ (रंग सामग्री) उद्योग पर पड़ा है।


भारत में कुल 18,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाला यह उद्योग निर्यात पर निर्भर है, जिसमें पिछले साल 20 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी, लेकिन इस साल इस बढ़त का अनुमान शून्य है।

इस दशक की शुरुआत से यह उद्योग 20 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़त दर्ज कर रहा था। चालू वित्त वर्ष में भी उम्मीद की जा रही थी कि यह बढ़त बरकरार रहेगी। लेकिन अमेरिका और यूरोप के देशों में आई मंदी के परिणामस्वरूप इसका कारोबार काफी कम हो गया।

पिछले चार महीने में ही इसके कारोबार में नाटकीय ढंग से 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। विदेश से मिलने वाले नए आर्डर में जबरदस्त कमी आई है।

यह क्षेत्र इस लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है कि उद्योग में एक लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं और यह खजाने में इसका 11,000 करोड़ रुपये का योगदान होता है।

भारत में डाईस्टफ और इसके अन्य उत्पादों का दो तिहाई कारोबार केवल निर्यात के लिए होता है। इसे अमेरिका, यूरोपीय संघ, दूरस्थ पूर्व, दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में भेजा जाता है। इसमें से 65-70 प्रतिशत माल केवल अमेरिका और यूरोपीय देशों में ही भेजा जाता है।

डाईस्टफ मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (डीएमएआई) के अध्यक्ष जनक मेहता ने कहा, ‘सितंबर 2008 तक तो उद्योग की स्थिति ठीक रही और कमोवेश बढ़त बरकरार रही, लेकिन जब लीमन ब्रदर्स का पतन हो गया, निर्यात ऑर्डर में कमी आनी शुरू हो गई और वह दौर अभी भी जारी है।’

मेहता ने माना कि पिछले 2-3 महीने से विदेशों से मांग काफी कम हो गई है, इसलिए इस वित्तवर्ष के शुरुआती दिनों में जो बढ़त दर्ज की गई थी, उसका औसत अब कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें बेहद खुशी होगी अगर इस साल उद्योग में कोई बढ़त दर्ज होती है।

पिछले साल भारत के कलरेंट उद्योग ने डाई और इसके अन्य उत्पादों का कुल मिलाकर 10,867 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। अनुमान था कि इस बार यह बढ़कर 12,500 करोड़ रुपये हो जाएगा। लेकिन अगर वर्तमान औद्योगिक परिदृष्य को देखें तो लक्ष्य असंभव सा लगता है।

स्वाभाविक रूप से कलरेंट की कीमतें उत्पाद के मुताबिक अलग-अलग होती हैं। निर्यात मांग में कमी आ जाने से इसमें भी 20 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है। डाईस्टफ का प्रयोग तकरीबन हर उस उद्योग में होता है, जहां प्राकृतिक रूप की जगह पर अलग से रंग दिया जाता है।

टेक्सटाइल, चमड़ा, साबुन और डिटजर्ट, केमिकल्स और फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य और कृषि आदि क्षेत्रों में इसका वैश्विक रूप से व्यापक प्रयोग होता है। आज यह उद्योग घरेलू मांगों में 95 प्रतिशत और वैश्विक मांगों में 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी करता है।

अगर वैश्विक परिदृश्य को देखें तो चीन की हिस्सेदारी वैश्विक व्यापार में 27 प्रतिशत है, जबकि यह देश इस कारोबार में भारत के बाद आया है।

डीएमएआई के उपाध्यक्ष और कलरेंट उद्योग के दिग्गज सीके सिंघानिया ने कहा, ‘हालांकि घरेलू उद्योग में इसकी मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, खासकर निर्माण के क्षेत्र में इसकी जरूरत बहुत बढ़ी है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सरकार इस उद्योग की मदद करे।’

डाईस्टफ कारोबार

वित्त वर्ष                           निर्यात
                                    (करोड़ रुपये में )
2004-05                             5,346
2005-06                             7,114
2006-07                           10,469
2007-08                           10,861
2008-09                           12,500*

* अनुमानित

First Published : January 18, 2009 | 11:09 PM IST