मंदी की आहट से ही लुढ़का जिंस

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 11:08 PM IST

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आर्थिक मंदी से उबरने के कोई संकेत न मिलने के बाद अप्रैल से जिंसों की कीमत में लगातार कमी हो रही है।


वैसे भय के इस माहौल में जून का महीना थोड़ा सुकून भरा रहा जब कई जिंसों की कीमतों में तेजी देखी गयी लेकिन जुलाई से फिर इन जिंसों के दाम घटते नजर आए। इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी संसद ने दिवालिया हुए बैंकों के लिए 700 अरब डॉलर का राहत पैकेज घोषित किया।

ऐसा इसलिए किया गया कि मंदी के बुरे असर को वैश्विक विशेषकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ने से रोका जाए। इस साल की शुरुआत में कहा जा रहा था कि जिंसों की कीमतों में आया उछाल आगे तक बना रहेगा। ऐसा इसलिए कि इन जिंसों की आपूर्ति घटने के आसार थे।

लेकिन मार्च के बाद कई बड़े विकासशील देशों में महंगाई दर के ऊंची रहने से जिंसों की कीमत पर नकारात्मक प्रभाव दिखने लगा। तब से इन जिंसों की कीमतें तेजी से घटी है। हाउसिंग सेक्टर के ध्वस्त होने और ब्याज दर के बढ़ने से भारत जैसे कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मध्यवर्ग की खर्च करने की क्षमता में तेजी से कमी हुई।

इसके चलते हुआ यह कि पहले जिन जिंसों की कीमत में तेजी से उछाल हो रहा था अब उसी की कीमत तेजी से लुढ़की है। लंदन मेटल एक्सचेंज में अप्रैल के बाद अब तक तांबे की कीमत में 20 फीसदी की कमी हो चुकी है। जस्ता, सीसा, अल्युमिनियम, टिन और निकल की कीमत भी अब तक क्रमश: 23.34, 33.81, 14.65, 15.19 और 38.13 फीसदी गिर चुकी है।

दूसरे जिंसों की तुलना में सोने में थोड़ी कम गिरावट हुई है क्योंकि शेयर बाजार गिरने और कच्चे तेल समेत कई जिंसों के महंगे होने से परेशान निवेशकों ने सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोने में निवेश किया। अब तक की स्थिति यही है कि वैश्विक आर्थिक मंदी, हाउसिंग क्षेत्र की समस्या और मौद्रिक तरलता की कमी से सर्राफा बाजार थोड़ा ही प्रभावित हुआ है।

लंदन मेटल एक्सचेंज में अप्रैल से अब तक सोने में महज 9 फीसदी की गिरावट हुई है। अल नीनो, ला नीना जैसे तूफान का चांदी पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। अप्रैल से अब तक चांदी की कीमत 30 फीसदी कमी के साथ 12.26 फीसदी तक लुढ़क चुकी है। हालांकि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए ब्याज दर में कटौती की घोषणा की है।

बुधवार को अमेरिका का फेडरल रिजर्व, यूरोपीयन सेंट्रल बैंक, फ्रेंच सेंट्रल बैंक, ऑस्ट्रेलियन सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ टोक्यो, बैंक ऑफ चाइना जैसे बैंकों ने ब्याज दर में 0.50 फीसदी तक की कमी करने की घोषणा की। अनुमान है कि इससे पूंजी बाजार में 3000 अरब डॉलर की पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा।

First Published : October 9, 2008 | 11:56 PM IST