काजू गिरी का निर्यात जनवरी के दौरान 25 प्रतिशत बढ़कर 223 करोड़ रुपये हो गया जिसकी एक खास वजह है वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच मूल्य प्राप्ति का बढ़ जाना है।
काजू निर्यात संवर्द्धन परिषद (सीईपीसी) ने जो आंकड़े पेश किए हैं उनके मुताबिक जनवरी 2008 में निर्यात 178.76 करोड़ रुपये का हुआ। हालांकि परिमाण के हिसाब से निर्यात मामूली रुप से घटकर 8,460 टन रह गया जो पहले 8,483 टन था।
लेकिन मूल्य प्राप्ति के लिहाज से यह प्रति इकाई 53 रुपये बढ़कर 263.64 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया जो पहले 210.73 रुपये प्रति किलोग्राम था। सीईपीसी के सचिव शशि वर्मा ने कहा, ‘काजू के निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकट का असर था क्योंकि यह कोई जरूरी सामग्री नहीं है।’
वर्मा ने कहा कि रुख को देखते हुए लगता है कि स्थितियां थोड़ी सुधर रही हैं। काजू गिरी की कीमत अब 2.3 डॉलर प्रति पौंड है जो दो तीन माह पहले दो डॉलर के लगभग थी। सीईपीसी हमेशा से ही निर्यात के नए रास्तों की तलाश में है और वह अपने दायरे में आने देशों की संख्या को बढ़ाने की ओर नजर गड़ाए है।
उनका कहना है कि मौजूदा परिदृश्य में यह थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है और हमें उम्मीद है कि स्थितियां अगले छह महीनों में सामान्य हो जाएंगी।
अप्रैल 2008 से जनवरी 2009 के बीच निर्यात करीब 35 प्रतिशत बढ़कर 2,507.02 करोड़ रुपये का हो गया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 1,850.71 करोड़ रुपये का था।
मात्रा के लिहाज से चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक 91,381 टन का निर्यात हुआ जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 94,794 टन था। वर्मा ने कहा कि वर्ष 2008-09 के शुरुआत में कीमतें बेहतर थीं लेकिन बाद में यह नीचे आ गया।