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भारतीय उद्योग जगत को खर्च बढऩे से फायदा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:29 PM IST

पूंजीगत खर्च
कंपनियों को सड़क, रेलवे और रक्षा क्षेत्र में ज्यादा परियोजनाएं मिलने की संभावना बढ़ेगी

बजट में सरकारी पूंजीगत खर्च 35.4 प्रतिशत तक बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये किए जाने की घोषणा और स्थानीय रक्षा कंपनियों के लिए ठेकों में इजाफा होने से एलऐंडटी, थर्मेक्स, सीमेंस,एबीबी, जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर, भारत फोर्ज और टाटा समूह की रक्षा एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों समेत कई भारतीय कंपनियों के लिए अवसरों में वृद्घि होगी।
नई सड़क एवं राजमार्ग, रेलवे जैसी इन्फ्रा परियोजनाओं में भागीदारी के अलावा, भारतीय कंपनियों को कई अन्य सामाजिक कल्याण संबंधित परियोजनाओं में भी ऑर्डर मिलेंगे, जिनमें पेयजल और आवासीय परियोजनाएं भी शामिल हैं जिन्न्हें 60,000 करोड़ रुपये तथा 48,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि भारतीय कंपनियां अगले तीन वर्षों में अन्य 100 कारगो टर्मिनलों की स्थापना, 25,000 किलोमीटर तक के राजमार्ग विस्तार, चार मल्टी-मॉडल राष्ट्रीय पार्कों, मेट्रो प्रणालियों के मानकीकरण आदि में भागीदारी कर सकती हैं। पूंजीगत खर्च के लिए राज्यों को विशेष सहायता बढ़ाई गई है, जिससे स्थानीय कंपनियों को ऑर्डर प्रवाह में मददद मिलने की संभावना है।
वित्त मंत्री ने कहा कि रक्षा ऑर्डरों के लिए 68 प्रतिशत पूंजीगत खरीद बजट 2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित किया जाएगा, जो 2021-22 के 58 प्रतिशत से ज्यादा है।
भारतीय उद्योग दिग्गजों का कहना है कि पूंजीगत खर्च में वृद्घि निजी कंपनियों के कायाकल्प के लिए एक अच्छा बदलाव है। प्रख्यात पूंजीगत वस्तु कंपनी सीमेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सुनील माथुर ने कहा, ‘7.50 लाख करोड़ रुपये की पूंजीगत व्यय वृद्घि से अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी प्रयास किए जाने की सरकारी योजनाओं की पुष्टि हुई है।’ अन्य मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि सार्वजनिक निवेश में भारी वृद्घि से कॉरपोरेट निवेश पुन: शुरू करने की दिशा में बड़ी मदद मिलेगी। एस्सार कैपिटल के निदेशक प्रशांत रुइया ने कहा, ‘प्रौद्योगिकी पर जोर दिए जाने के लक्ष्य के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर आवंटन से रोजगार पैदा होंगे और आगामी भविष्य में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।’ मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा पूंजीगत खर्च पर अधिक जोर दिए जाने से कॉरपोरेट भारत को मदद मिलेगी, क्योंकि इसका कई अन्य क्षेत्रों के जरिये निजी निवेश में वृद्घि से अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर दिखेगा।
जेके ऑर्गनाइजेशन के निदेशक हर्ष पति सिंघानिया ने कहा, ‘इससे रोजगार सृजन की राह आसान बनाने और खपत-केंद्रित वृद्घि का चक्र शुरू करने में मदद मिलेगी।’ सोमवार को सरकार ने कहा था कि वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक घोषित राहत उपायों से पूंजीगत खर्च सुधारने और 2021-22 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान खर्च का रुझान मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इन उपायों में पीएलआई योजना, ऋण गारंटी योजना और निर्यात वृद्घि पहलें मुख्य रूप से शामिल हैं। आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान पूंजीगत खर्च सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत बढ़ा और इसमें सड़क तथा राजमार्ग, रेलवे, और आवास एवं शहरी मामलों जैसे बुनियादी ढांचा आधारित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।’
हालांकि निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में किसी तरह केे सुधार का संकेत नहीं दिख रहा है। मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि सरकार इन्फ्रा सेक्टर में निजी कंपनियों को और ज्यादा ठेके दे रही है।
बैटरी स्वैप नीति
बैटरी अदला-बदली नीति पर मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि बैटरी स्वैपिंग मानकों का निर्माण सही दिशा में उठाया जा रहा कदम है, क्योंकि इससे संबंधित कंपनियों में इसे लेकर काफी अनिश्चितता थी।

First Published : February 1, 2022 | 11:27 PM IST