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खूब किया खर्च तो बढ़ा राजकोषीय घाटा: निर्मला

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 8:57 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने खर्च के साथ ही बाजार से उधारी का दायरा बढ़ाया है जिसकी वजह से राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.5 फीसदी तक हो गया है। सीतारमण ने कहा, ‘हमने खर्च किया है, काफी खर्च किया है। अगर ऐसा नहीं होता तब राजकोषीय घाटे का आंकड़ा इतना नहीं होता।’ हालांकि सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि पूंजीगत खर्च की बार-बार समीक्षा की गई है और इसमें कोई देरी नहीं हुई है। सीतारमण ने कुछ अन्य पहलुओं पर भी रखे अपने विचार:
पारदर्शिता पर जोर
हमने सरकार के खर्च आदि के ब्योरे में काफी पारदर्शिता बरती है और कुछ भी छिपाया नहीं जा रहा है। एफसीआई को दिए गए पैसे का भी ब्योरा सामने आएगा। सरकार के राजकोषीय घाटे में काफी तेजी दिखी। हमने खर्च बढ़ाया और उधारी बढ़ाने से राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी से बढ़कर जीडीपी का 9.5 फीसदी हो गया। हमने राजकोषीय घाटा का कम करने के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा साझा की गई है।  
दो अहम क्षेत्र
कोरोनावायरस महामारी के दौर का सामना करने के बाद पेश हुए पहले बजट में दो अहम पहलू दिखे जिसमें सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे मसलन सड़क और राजमार्गों पर खर्च में बढ़ोतरी और स्वास्थसेवा क्षेत्र की जरूरतों पर ध्यान देने जैसे फैसले शामिल हैं।  सरकार, कोविड-19 महामारी से सबक लेते हुए बेहतर स्वास्थ्य सेवा की प्रबंधन क्षमता बढ़ाने पर भी जोर देगी।
नया उपकर
सरकार ने कई उत्पादों पर कृषि बुनियादी ढांचा एवं विकास उपकर लगाया है। उपभोक्ता मौजूदा वक्त में जो भुगतान कर रहे हैं उसके मुकाबले ज्यादा भुगतान नहीं करना होगा। इसमें थोड़ा बदलाव किया गया है। मिसाल के तौर पर जहां सीमा शुल्क 12 फीसदी था उसे अब कम करके 7 फीसदी कर दिया गया है और संभवत: 3 फीसदी बुनियादी ढांचा विकास उपकर जोड़ा गया है। आखिर में उपभोक्ताओं को लगभग बराबर या इससे कम ही भुगतान करना होगा।
वित्त क्षेत्र में सुधार
विनिवेश की प्रक्रिया जारी रहेगी और एलआईसी के आईपीओ की पेशकश की जाएगी। बीमा क्षेत्र को विदेशी निवेशकों के लिए ज्यादा खोला जाएगा। बैंकों के बही-खाते को साफ-सुथरा रहने के लिए हमने एक फॉर्मूला तय किया है। इसकी जिम्मेदारी एक धारक कंपनी को दी जाएगी जो इनका निपटान करने के लिए परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी को इनकी बोली लगाने के लिए प्रेरित करेगी।
विकास वित्त संस्थान
बुनियादी ढांचे की फंडिंग जरूरतों के लिए एक विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) बनाने की पेशकश की गई है। सरकार 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ डीएफआई बनाएगी जिसका इस्तेमाल अगले 3-5 सालों में 5 लाख करोड़ रुपये जुटाने में किए जाएंगे।
भविष्य निधि योगदान
भविष्य निधि  (पीएफ) में 2.5 लाख रुपये से अधिक सालाना अंशदान करने वाले के ब्याज पर कर लगेगा चूंकि पीएफ पर 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज मिलता है इसलिए 2 लाख रुपये मासिक आय और 12 फीसदी योगदान वाले व्यक्ति को कोई चिंता नहीं होगी।

First Published : February 1, 2021 | 11:39 PM IST