ऊर्जा उत्पादन और वितरण में निवेश आकर्षित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने इक्विटी रिटर्न 14 फीसदी से बढ़ाकर 15.5 फीसदी कर दिया है। यह परिर्वतन नयी टैरिफ नीति (2009-14) के तहत किया गया है।
यही नहीं जो परियोजनाएं तय समय-सीमा के भीतर पूरी कर ली जाएंगी, उसके लिए इक्विटी पर 0.5 फीसदी का अतिरिक्त रिटर्न दिया जाएगा। सीईआरसी के चेयरमैन प्रमोद देव ने बताया कि ये नियमन निवेश आकर्षित करने और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए अपनाए जा रहे हैं।
देव ने बताया कि ये नियमन राज्य नियामकों के लिए निर्देशिका के तौर पर काम करेंगे। इससे ऊर्जा उत्पादक और वितरण कंपनियों को अपना मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि ये घोषणाएं आगामी 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगी। हालांकि ऊर्जा कंपनियों के शेयरों में तुरंत बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई है।
मंगलवार को जब सेंसेक्स में 2.45 फीसदी की गिरावट हुई तब ऊर्जा क्षेत्र के सेक्टोरियल इंडेक्स मे 1.44 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। सबसे ज्यादा मजबूती एनटीपीसी के शेयरों में 4.27 फीसदी की तेजी हुई और इसके भाव 185.70 रुपये प्रति शेयर हो गए।
नियमन के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के ऊर्जा उत्पादकों जैसे एनटीपीसी और मेगाप्रोजेक्ट का दर्जा प्राप्त अंतरराज्यीय परियोजनाएं आएंगी। यही नहीं अब इक्विटी पर रिटर्न की गणना कर-पश्चात नहीं बल्कि कर-पूर्व की जाएगी। इन दोनों कदम से ऊर्जा उत्पादकों को मदद मिलने की उम्मीद है। इन्हें कर में राहत मिलेगी, जिससे इनका मुनाफा बढ़ने की उम्मीद है।
जानकारों के अनुसार, हालांकि पुराने पावर स्टेशनों को कोई फायदा नहीं मिलने वाला। सीईआरसी के सचिव आलोक कुमार ने बताया, ‘कर-पश्चात गणना को बदलकर कर-पूर्व कर देने से खरीदारों को मुनाफा बढ़ जाएगा। क्योंकि अब ऊर्जा उत्पादकों को आय के दूसरे स्रोतों पर कर नहीं चुकाना होगा। इस वजह से खरीदारों का तकरीबन 800 करोड़ रुपये बच जाएगा।’
नए नियमन उपभोक्ताओं को किस तरह प्रभावित करेंगे, पूछने पर कुमार ने बताया कि एनटीपीसी के पुराने स्टेशनों के संचालन और प्रबंधन में आने वाले भारी खर्च के चलते 5 फीसदी का मामूली मुनाफा हो रहा है। वहीं नए स्टेशनों के संचालन में 4.5 फीसदी का नुकसान हो रहा है।
आयोग ने एडवांस (एडवांस अगेंस्ट डिप्रेसिएशन) जमा करने का प्रस्ताव भी खत्म कर दिया है। कुमार के अनुसार, ‘एएडी को हटाया जा रहा है लेकिन डिप्रेसिएशन दर अभी भी जारी रहेगी।’ सीईआरसी ने डिप्रेसिएशन दर को थर्मल प्लांट के लिए मौजूदा 3.6 फीसदी और हाइड्रोप्लांट के लिए 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 5.28 फीसदी कर दिया है।
हालांकि इससे नए प्रोजेक्टों के डेवलपरों को लाभ मिलेगा पर इस वजह से पुराने पावर प्रोजेक्टों पर भी इतना लाभ मिलने की संभावना नहीं है। एक वरिष्ठ विश्लेषक ने बताया, ‘ऐसा नहीं कि प्रावधान में परिवर्तन होने से उत्पादकों को लाभ होगा। नए पावर प्लांटों से मुनाफा तो हो सकता है पर अभी भी पुराने पावर प्लांटों से मुनाफा मिलने की उम्मीद नहीं है।’
टैरिफ नियमन में हुए बड़े परिवर्तन-
• इक्विटी रिटर्न 14 फीसदी से बढ़ाकर 15.5 फीसदी किया गया
• समय पर पूरा होने वाले प्रोजेक्टों पर अतिरिक्त इक्विटी रिटर्न 0.5 फीसदी बढ़ा
• अब इक्विटी रिटर्न कर-पूर्व गणना की जाएगी
• एडवांस अगेंस्ट डिप्रेसिएशन हटाया गया, डिप्रेसिएशन दर बढ़ाकर 5.28 फीसदी किया गया