लेखक : आर जगन्नाथन

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Opinion: यूपी के आर्थिक उभार को धार्मिक पर्यटन की धार

सन 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से ही भारत नियति के साथ एक नए साक्षात्कार की राह पर है। मंडल राजनीति के उभार और राम जन्मभूमि आंदोलन की इसमें अहम भूमिका रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 1998 से 2004 के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पहले कार्यकाल के दौरान दोनों के बीच […]

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बेहतर होगा राष्ट्रवाद का पुनरुत्थान

पश्चिमी देशों की ‘सार्वभौमिकता’ की अवधारणा साम्राज्यवाद का ही पुराना रूप है जिसे नए कलेवर में पेश किया जा रहा है जो संदिग्ध प्रतीत होता है। बता रहे हैं आर जगन्नाथन वामपंथी-उदारवादियों को भले ही यह बात पसंद न हो लेकिन लगभग हर जगह राष्ट्रवाद का पुनरुत्थान हो रहा है। राष्ट्रवाद के पहले चरण की […]

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सामाजिक न्याय की आड़ में हकीकत पर पर्दा डालना गलत

सामाजिक न्याय का झंडाबरदार बनने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोई आपकी जवाबदेही तय नहीं करेगा और आपके सुझाए समाधान नाकाम रहने पर भी सवाल-जवाब नहीं करेगा। सामाजिक न्याय का विषय उठाने के लिए सबसे पहले आपको कुछ आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे ताकि किसी खास पक्ष या समूह की तरफ इनका झुकाव साबित […]

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लोकतंत्र, एक राष्ट्र-एक चुनाव और सरकार

दुनिया के लोकतंत्र लोकतांत्रिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विशेषकर, यह कथन दुनिया के उन लोकतांत्रिक देशों की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में सटीक हैं, जहां राजनीतिक एवं बुद्धिजीवी अब भी लोकतंत्र में निष्ठा व्यक्त करते हैं। लोकतांत्रिक देश तभी अपना अस्तित्व बचाए रख सकते हैं जब वे स्वयं का […]

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जलवायु परिवर्तन पर घबराहट नहीं तार्किक समाधान की जरूरत

जलवायु परिवर्तन हमें एक नए प्रकार के ध्रुवीकरण की तरफ ले जा रहा है। यह विषय विचारधारा के टकराव का रूप ले चुका है और वामपंथी विचार वाले जलवायु आपातकाल घोषित करने की मांग कर रहे हैं, परंतु दक्षिणपंथी सोच रखने वाले ऐसी किसी पहल के विरोध में तर्क दे रहे हैं। अमेरिका में डेमाक्रेटिक […]

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Opinion: अर्थव्यवस्था के लिए केंद्र में यथास्थिति क्यों जरूरी ?

केवल नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करने के उद्देश्य से बना गठबंधन अर्थव्यवस्था रूपी पोत को सही दिशा में खेने का सही उपाय नहीं है। बता रहे हैं आर जगन्नाथन जिस किसी व्यक्ति ने यह कहा था कि अच्छी राजनीति से अच्छी आर्थिकी तैयार होती है या इसका उलटा होता है, उसे अपने मस्तिष्क […]

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Opinion: आरक्षण से ​लेकर प्रतिभा तक की चर्चा

बिना बेहतर विकल्प के कोटा व्यवस्था (Reservation System) को समाप्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन विकल्प के बारे में चर्चा ही कहां हो रही है? अपनी राय रख रहे हैं आर जगन्नाथन भा रत और विश्वभर में समावेशन और समता को लेकर गलत प्रकार की बहस हो रही है। अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय ने […]

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भारत में टैक्स कम रखना आवश्यक

राजनीतिज्ञ चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए करदाताओं की रकम का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे भारत में कम करों वाला ढांचा तैयार करने में कठिनाई आ रही है। बता रहे हैं आर जगन्नाथन मॉर्गन स्टैनली की एक रिपोर्ट में पिछले एक दशक में भारत में आए 10 बड़े बदलावों का जिक्र किया […]

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भारत को बड़े कारोबारी समूहों की जरूरत

दुनिया में कहीं भी बड़े कारोबारी समूहों को भंग नहीं किया गया है। भारत में ऐसी मांग आ​र्थिक आत्महत्या के समान होगी। बता रहे हैं आर जगन्नाथन ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो अर्थशास्त्री एक अलग ही दुनिया में जी रहे हैं जो मौजूदा दौर की हकीकतों से दूर है। जब आपको हर हालात में […]

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लोकतंत्र की रैंकिंग का निर्धारण और उसकी खामियां

विश्व के लोकतांत्रिक देशों की वी-डेम रैंकिंग की आलोचना यह बताती है कि आखिर यह क्रम तय करने के उसके तरीकों में क्या समस्या है। इस विषय में जानकारी दे रहे हैं आर जगन्नाथन भारतीय लोकतंत्र में निश्चित तौर पर कमियां हैं। हमें इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया का कोई […]