लेखक : अजित बालकृष्णन

आज का अखबार, लेख

शिक्षा क्षेत्र में हो एआई का समुचित इस्तेमाल

एक समाचार की सुर्खियां हैं: ‘शिक्षकों: एआई आपकी नौकरियां ले लेगा!’ एक अन्य सुर्खी सवाल करती है, ‘क्या एआई विश्वविद्यालयों में निरर्थक नौकरियों को खत्म कर देगा?’ तीसरी सुर्खी कहती है, ‘छात्रों ने विश्वविद्यालय की परीक्षा में एआई की मदद से धोखाधड़ी की’ इन दिनों रोज ऐसी खबरें हमें देखने को मिलती हैं। ये खबरें […]

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स्टार्टअप का खुमार और भविष्य की हकीकत

भारत और दुनिया में स्टार्टअप की तेज होड़ के बीच सफलता हासिल करने और अस्तित्व बनाए रखने के लिए कारोबारी हुनर के साथ मूल्यों को संजोना भी बेहद जरूरी है। समझा रहे हैं अजित बालकृष्णन एक दिन तड़के मेरे पास एक फोन आया। दूसरी ओर से जानी-पहचानी आवाज में किसी ने कहा, ‘मुझे लगता है […]

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नवाचार पर वैश्विक जुनून से कदम मिला सकेगा भारत?

जब पूरी दुनिया नवाचार के क्षेत्र में झंडे गाड़ने के प्रयास में जुटी है तब प्रतिभाओं से भरा भारत इसमें क्यों पिछड़ रहा है और होड़ में आने के लिए उसे क्या करना चाहिए, बता रहे हैं अजित बालकृष्णन किसी भी शैक्षिक पत्रिका के पन्ने पलटिए, किसी ऑनलाइन समाचार वेबसाइट या अखबार में प्रकाशित लेख […]

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योग्यता बनाम जीन संरचना की बहस

मैं तीन सदस्यों वाली उस समिति का सदस्य था, जिसे भारतीय प्रबंध संस्थान के निदेशक का चयन करना था। इस पद के लिए पांच नाम छांटे गए थे। हममें से एक सदस्य ने कहा, ‘इस अभ्यर्थी को चुन लेते हैं।’ मैंने पूछा, ‘क्यों, उसके रेजूमे में ऐसा क्या है जिसकी वजह से आप उसकी सिफारिश […]

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भारत में नए आविष्कार के युग का उदय, छात्रों ने 6 हफ्तों में पेश किए पेटेंट-योग्य प्रोटोटाइप

कुछ हफ्ते पहले एक सुबह मैं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के सम्मेलन कक्ष में बैठा था। मैं उस कक्ष में छह अन्य लोगों के साथ एक कार्यक्रम शुरू होने का इंतजार कर रहा था। पूरा हॉल आईआईटी के छात्रों एवं प्राध्यापकों से खचाखच भरा था। इस भारी जुटान के लिए मैं मानसिक रूप से […]

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ओपिनियन: बच्चे, रोजगार और प्रवासन भारतीयों की बदलती चाह

भारतीय युवाओं में विदेशों में रोजगार और जीवन बिताने की इच्छा तथा संतानोत्पत्ति को लेकर अनिच्छा की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। बता रहे हैं अजित बालकृष्णन क्या तुम बच्चों का बच्चे पैदा करने का इरादा नहीं है?’ यह सवाल  मैंने अपनी एक भतीजी से पूछा जो हाल ही में हमारे साथ एक सप्ताह […]

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औद्योगिक क्रांति के बाद AI में पिछड़ने का डर

वह एक थुलथुले शरीर वाले अशिक्षित व्यक्ति थे, एक कसाई के बेटे जो अपने छोटे से घर में चरखे पर कपास की बुनाई करके अपने 13 बच्चों वाले परिवार का पालन-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। तभी उनके मन में विचार आया कि वह अपने चरखे में कुछ ऐसा सुधार करें जिससे वह […]

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आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सामाजिक दृष्टि से सही

एआई (AI) की क्षमताओं और रोजगार पर उसके असर के बारे में हो हल्ले के बीच इसे इस प्रकार विकसित करने की जरूरत है कि यह सामाजिक दृष्टि से कारगर साबित हो। बता रहे हैं अजित बालकृष्णन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) के कारण रोजगार बाजार में निराशा या उछाल की खबरें हाल के दिनों में काफी […]

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मानविकी और विज्ञान की खाई पाटेगा डेटा विज्ञान

चंद रोज पहले एक प्रमुख सरकारी विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने मुझे इस बात पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया कि वे अपने पाठ्यक्रम को किस प्रकार आधुनिक बनाएंगे। जब बोलने की मेरी बारी आई तो मैंने कहा कि आधुनिकीकरण की दिशा में सबसे अहम पहला कदम होगा डिजिटल ह्यूमैनिटीज यानी मानविकी की पढ़ाई शुरू कराना।  […]

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आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के दौर में सत्य की खोज

आज भी मुझे अपने स्कूल के दिन याद हैं जब मेरे सहपाठियों और मेरे बीच इस बात को लेकर बहस हो गई थी कि ‘शून्य’ का आविष्कार किसने किया था? उनमें से कुछ ने कहा कि शून्य का आविष्कार ‘ईश्वर’ ने किया तो कुछ अन्य ने कहा कि शून्य तो हमेशा से मौजूद था और […]