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लेखक : अजय शाह

आज का अखबार, लेख

कैसे मजबूत बन सकती हैं भारतीय कंपनियां?

एक सफल भारत का मूल वह है जहां आम लोग और कंपनियां वै​श्विक अर्थव्यवस्था में पूरी भागीदारी करें। भारत में जो व्य​क्ति मजबूत और सक्षम कंपनियां तैयार करते हैं, उन्हें विनिर्माण संस्थाओं तथा पैसे को दुनिया भर में यहां-वहां ले जाने की पूरी पहुंच की आवश्यकता होती है। भारतीय समाजवाद के कई अवशेष हैं जो […]

आज का अखबार, लेख

भारत के सेवा निर्यात की गतिशीलता, अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन

भारत के निर्यात में आईटी तथा उससे संबद्ध सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर रहा है। इसके व्यापक रुझान के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं अजय शाह निर्यात की गतिशीलता आज के भारत के लिए खासतौर पर महत्त्व रखती है। इस मामले में दो क्षेत्र एकदम अलग नजर आते […]

आज का अखबार, लेख

वैश्विक उठापटक के बीच भारत सुरक्षित स्थिति में

वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है। यह अनिश्चितता कुछ निश्चित माध्यमों के जरिये एक से दूसरे देश में पूंजी का प्रवाह प्रभावित करती है। विदेश से आने वाली पूंजी पर भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्भरता कम है क्योंकि बाह्य पूंजी की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। निवेश और बचत के बीच का अंतर पूंजी […]

आज का अखबार, लेख

वैश्विक संस्थानों में भारतीयों की सफलता की वजह

हम सभी ने इस बात पर ध्यान दिया होगा कि आईबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे वैश्विक संस्थानों और अब विश्व बैंक में भारतीयों के पास नेतृत्व की भूमिका है। प्रवासियों के लिए इस तरह की सफलता हासिल करना आसान नहीं होता है। किसी नई संस्कृति में ढलना आसान नहीं होता है। जाहिर है हमें इन तमाम […]

आज का अखबार, लेख

कार्बन से होने वाला प्रदूषण और अस्थायी कामयाबी

जब कोई विकसित देश किसी खास उद्योग में प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था करता है तो उन भारतीय प्रतिस्प​र्धियों की मांग और मुनाफा बढ़ जाता है क्योंकि यहां प्रदूषण नियंत्रण कमजोर होता है। ये कंपनियां अपने लाभ के स्रोत के बारे में गंभीरता से विचार नहीं करतीं। उन्हें लगता है कि वे बहुत समझदार हैं और […]

आज का अखबार, लेख

दुनिया में कम हुई है अनिश्चितता

विगत एक वर्ष के दौरान वैश्विक स्तर पर वृहद आर्थिक हालात सुधरे हैं। वर्ष 2024 से निरंतर वृद्धि का सिलसिला शुरू होने की संभावना है। बता रहे हैं अजय शाह एक वर्ष पहले विश्व में असामान्य अनिश्चितता की स्थिति थी। दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई की दशा-दिशा की थाह पाना मुश्किल लग रहा था […]

आज का अखबार, लेख

आधुनिक सूचना युद्ध में विदेशी राज्य तत्त्व

हम अब इस बात के अभ्यस्त हो चुके हैं जहां कुछ कारक आधुनिक डिजिटल मीडिया के माध्यम से हमारी सूचनाओं को तोड़ने मरोड़ने का काम करते हैं। ऐसी गतिविधियां सरकारी तत्त्वों द्वारा की जाती हैं, खासतौर पर अलोकतांत्रिक देशों के तत्त्वों द्वारा। ब्रेक्सिट के समय रूस के तौर तरीके और 2016 के अमेरिकी चुनाव के […]

आज का अखबार, लेख

अपने बड़े अमीर लोगों के साथ देशों का बरताव

हाल के समय में कुछ अमीर और श​क्तिशाली लोगों को अमेरिका, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में मु​श्किलों का सामना करना पड़ा है। जब वि​धि का शासन कमजोर हो तो संप​त्ति ही अमीरों को गुंडों और अन्य अमीरों से बचाती है। परंतु उन्हें राज्य से बचाव हासिल नहीं होता। सबसे अमीर लोगों को […]

आज का अखबार, लेख

एक भारतीय जेईटीपी की बुनियाद

विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों ने वातावरण को प्रदूषित किया और यह उचित ही है कि वे गरीब देशों को संसाधन मुहैया कराएं जहां कार्बन आधारित वृद्धि अब व्यावहारिक नहीं है। दो जलवायु वित्त चैनल हैं जो निवेश क्षमता और निवेश की समस्याओं को हल करने का प्रयास कर रहे हैं। द ग्लोबल एन्वॉयरनमेंटल, सोशल ऐंड […]

आज का अखबार, लेख

वर्ष 2023 के लिए पांच अहम सवाल

ये प्रश्न नव वर्ष में विश्व अर्थव्यवस्था को आकार देंगे और भारत के लिए भी ये काफी मायने रखते हैं। इस विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं अजय शाह  हममें से कई लोगों की यह प्रवृत्ति होती है कि हम पुराने तरीके से सोचते हैं और भारत को एक ऐसे देश के रूप में […]

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