लेखक : अजय छिब्बर

आज का अखबार, लेख

ट्रंप और हैरिस की नीतियों में होंगे अहम फर्क, अमेरिकी चुनावों का भारत पर कैसे हो सकता है असर?

अमेरिका में 5 नवंबर तक नया राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा और चुनाव परिणाम का अमेरिका ही नहीं भारत समेत पूरी दुनिया पर बहुत प्रभाव पड़ेगा। कमला हैरिस जीतीं तो वह कई नए रिकॉर्ड बनाएंगी – इस सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली वह पहली अश्वेत महिला होंगी और अमेरिका की राष्ट्रपति बनने वाली भारतीय मूल की […]

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आधुनिक भारत के लिए प्रशासनिक सुधार जरूरी, क्या मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल में उठाएगी कदम?

अफसरशाही यानी ब्यूरोक्रेसी में बड़े पदों पर निजी क्षेत्र से विशेषज्ञों की सीधी नियुक्ति (लैटरल अपॉइंटमेंट्स) पर छिड़ी बहस के बीच एक बड़े मसले की अनदेखी हो गई है। यह मसला है आर्थिक सुधारों के साथ बड़े प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता। ई-सेवाओं में काफी इजाफा होने के बाद भी कारोबारियों और नागरिकों के लिए भारतीय […]

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वास्तविक मुद्दों का सही दिशा में समाधान करता बजट

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में आए पहले बजट में मतदाताओं के संदेश को समझने और स्वीकार करने की कोशिश की गई है। इस बजट का पूरा जोर रोजगार देने, कौशल विकास करने और ग्रामीण क्षेत्रों की हताशा दूर करने, लघु एवं मध्यम स्तर के उद्यमों के साथ-साथ उत्पादन के प्रमुख घटकों, श्रम एवं भूमि […]

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बजट में इस बार दिखना चाहिए बदलाव का संकेत

Budget 2024: बजट में जीडीपी (GDP) के आंकड़ों की चकाचौंध से निकल कर रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्रों में बदहाली दूर करने के उपाय भी होने चाहिए। बता रहे हैं अजय छिब्बर लोकसभा चुनाव संपन्न हुए एक महीना हो गया है। कई सप्ताहों तक चली चुनावी जद्दोजहद के बाद नई सरकार को बिना समय गंवाए […]

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चुनाव नतीजों के मुताबिक बदलाव की जरूरत

आम चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो देश के मतदाताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं बल्कि समावेशी वृद्धि चाहते हैं। बता रहे हैं अजय छिब्बर हालिया आम चुनाव से दो अहम संकेत निकले हैं: पहला, विभाजनकारी, ध्रुवीकरण की राजनीति कारगर नहीं है। इस बात का संकेत तो […]

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भारतीय संघ को बेहतर बनाने की जरूरत

यह विचार कि दक्षिणी राज्य बेहतर प्रदर्शन की कीमत चुका रहे हैं, भारतीय संघ का हिस्सा होने से मिलने वाले लाभों की अनदेखी करता है। बता रहे हैं अजय छिब्बर दक्षिण भारत के राजनीतिज्ञों और टिप्पणीकारों के बीच इन दिनों यह बहस तेज हो गई है कि भारतीय संघ में दक्षिणी राज्यों को उचित अहमियत […]

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रोजगार और साझी समृद्धि की दिशा में काम जरूरी

प्रतिष्ठित उद्योगपति जे.आर.डी. टाटा ने एक दफा कई लोगों को चौंकाते हुए कहा था, ‘मैं नहीं चाहता कि भारत एक आर्थिक महाशक्ति बने, मैं चाहता हूं कि यह एक खुशहाल मुल्क बने।’ भारत को ‘विश्व खुशहाली रिपोर्ट’ 2024 में 143 देशों में 126वां स्थान दिया गया है- यानी इसे बहुत खुशहाल देश नहीं माना गया […]

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विश्व व्यापार संगठन का क्या होगा भविष्य

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की स्थापना 1 जनवरी, 1995 को की गई थी। इसे दूसरे विश्वयुद्ध के अंत के बाद सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक सुधार बताया गया था। ऐसा इसलिए कि इसने जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स ऐंड ट्रेड (जीएटीटी) का विस्तार करते हुए सेवाओं और बौद्धिक संपदा को व्यापार में शामिल कर दिया था। डब्ल्यूटीओ […]

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रिजर्व बैंक ने किया सराहनीय प्रदर्शन

महामारी के बाद देश आर्थिक सुधार की प्रक्रिया से गुजर रहा है और वित्त वर्ष 24 में सकल घरेलू उत्पाद के 7.5 फीसदी से अधिक होने की उम्मीद है। पहले इसके छह से 6.5 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया गया था। इससे पहले वित्त वर्ष 23 में सात फीसदी और वित्त वर्ष 22 में […]

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Electoral Bonds: पारदर्शिता के लिए अदालती फैसले का स्वागत है

चुनावी बॉन्ड को रद्द करने का उच्चतम न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। चुनावी बॉन्ड को 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले साल 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार ने शुरू किया था। इसने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को, जिसे पहले रिश्वत के रूप में दिया जाता था, वैध और कानूनी बना दिया। […]