विलय और अधिग्रहण (M&A) का मूल्य अप्रैल में कम से कम साल 2018 के बाद से सबसे कम रहा। 98 सौदों के साथ विलय और अधिग्रहण का कुल मूल्य 1.8 अरब डॉलर रहा। पिछले साल इसी महीने में भारतीय कंपनी जगत में आठ अरब डॉलर के 204 सौदे हुए थे।
एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस के आंकड़ों के अनुसार साल 2018 के बाद से अप्रैल 2022 में विलय और अधिग्रहण के 194 सौदों के लिए सर्वाधिक मूल्य 70 अरब डॉलर था।
साल के पहले चार महीने में विलय और अधिग्रहण का मूल्य 33.6 प्रतिशत तक घटकर 20.6 अरब डॉलर रह गया, जबकि साल 2019 की इसी अवधि में यह 31.1 अरब डॉलर था। वैश्विक स्तर पर यह गिरावट 16.8 प्रतिशत थी।
वैश्विक विलय और अधिग्रहण में भारत की हिस्सेदारी साल 2024 में 1.9 प्रतिशत थी, जबकि साल 2019 में यह 2.4 प्रतिशत थी। साल 2022 में यह 7.2 प्रतिशत थी, जो साल 2018 के बाद से सबसे अधिक रही।
ऑर्गनाइजेशन फॉर इकनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की अप्रैल 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भू-राजनीतिक तनाव, प्रमुख महंगाई दर का लगातार अधिक स्तर, सख्त आर्थिक स्थिति और आर्थिक परिदृश्य में गिरावट के कारण वैश्विक विलय और अधिग्रहण साल 2023 में दस साल के निचले स्तर पर पहुंच गया।
सभी क्षेत्रों में से दूरसंचार क्षेत्र के सौदों का मूल्य साल 2019 में 0.4 अरब डॉलर की तुलना में खासा बढ़कर साल 2024 में चार अरब डॉलर हो गया और बाजार का 19.2 प्रतिशत हिस्सा हासिल कर लिया।
इसके बाद मीडिया और मनोरंजन (18.6 प्रतिशत), औद्योगिक (16.7 प्रतिशत), वित्तीय (13.3 प्रतिशत), और सामग्री (7.2 प्रतिशत) का स्थान आता है। साल 2019 में अग्रणी रहने वाले वित्तीय क्षेत्र का अधिग्रहण मूल्य 11.1 अरब डॉलर से घटकर 2.8 अरब डॉलर रह गया।