भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा के उस बयान के बाद 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर यील्ड में गिरावट दर्ज की गई जिसमें उन्होंने कहा था कि रीपो दर में कटौती की गुंजाइश कम नहीं हुई है। अक्टूबर में हुई पिछली बैठक के दौरान दर में कटौती की गुंजाइश बताई गई थी जो आंकड़ों के अनुसार कम नहीं हुई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दर निर्धारित करने वाली समिति उचित समय पर इस संबंध में निर्णय लेगी।
मल्होत्रा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक महज एक सप्ताह बाद 3 दिसंबर से शुरू होने वाली है। बैठक में लिए जाने वाले निर्णय की घोषणा 5 दिसंबर को की जाएगी।
आरबीआई गवर्नर ने ज़ी बिज़नेस से बातचीत में कहा, ‘अक्टूबर में हुई एमपीसी की बैठक में स्पष्ट तौर पर बताया गया था कि दर में कटौती की गुंजाइश है। उसके बाद मुद्रास्फीति सहित सभी उपलब्ध आर्थिक एवं वृहद आर्थिक आंकड़ों के आधार पर ऐसे कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं जिससे पता चले कि वह गुंजाइश कम हो गई है। जाहिर तौर पर गुंजाइश है। मगर एमपीसी की आगामी बैठक में इस मुद्दे पर निर्णय समिति के आकलन पर निर्भर करेगा।’
मौद्रिक नीति समिति ने 2025 की पहली छमाही में नीतिगत रीपो दर में कुल मिलाकर 100 आधार अंकों की कटौती की, लेकिन अगस्त और अक्टूबर की पॉलिसी में उसे स्थिर रखा। आरबीआई गवर्नर के बयान के बाद बेंचमार्क 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर यील्ड में गिरावट आई और वह 6.57 फीसदी से घटकर 6.52 फीसदी रह गई।
रुपये पर हालिया दबाव के बारे में मल्होत्रा ने कहा कि मुद्रा में आम तौर पर सालाना 3 से 3.5 फीसदी की गिरावट आती है। उन्होंने कहा कि रुपये को किसी विशेष स्तर पर रखने के बजाय विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना आरबीआई की प्राथमिकता है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘जहां तक रुपये में गिरावट की बात है तो वह काफी हद तक स्वाभाविक है। अल्पावधि में नहीं बल्कि लंबी अवधि में मुद्रा की गतिविधि मुद्रास्फीति के रुझानों के अनुरूप होती है। चाहे डॉलर हो या पाउंड अथवा यूरो, आखिरकार सबसे अधिक मायने रखती है मुद्रा की क्रय शक्ति। अगर मुद्रास्फीति में तेजी रहती है तो लंबी अवधि में कुछ गिरावट स्वाभाविक है।’
मल्होत्रा ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में आरबीआई ने लगभग 300 टन सोना खरीदा है, जिससे उसके पास लगभग 880 टन सोना हो गया है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 15 फीसदी हिस्सा अब सोने का है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेशी मुद्रा और स्वर्ण भंडार की समग्र स्थिति काफी दमदार है। विदेशी निवेश के बारे में उन्होंने कहा कि बैंक निफ्टी जैसे बेंचमार्क ही निवेशक गतिविधि का अंदाजा लगाने का एकमात्र तरीका नहीं हैं। मगर घरेलू और विदेशी दोनों निवेशक इसमें हिस्सा ले रहे हैं और रिजर्व बैंक उनकी मौजूदगी का स्वागत करता है।