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17 तिमाहियों में सबसे कमजोर बिक्री! आखिर क्यों पिछड़ रहीं बड़ी कंपनियां?

कमजोर मांग, प्राइवेट बैंकों और ऑटो सेक्टर की सुस्ती के बीच निफ्टी-50 कंपनियों की कमाई और बिक्री मिडकैप–स्मॉलकैप कंपनियों से पिछड़ी

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कृष्ण कांत   
Last Updated- November 25, 2025 | 9:59 AM IST

Q2 Results: भारत में कंपनियों की बढ़त धीमी पड़ गई है और इसका असर बड़ी कंपनियों (फ्रंटलाइन) पर ज्यादा दिख रहा है। सितंबर 2025 की तिमाही में निफ्टी-50 की बड़ी कंपनियों का मुनाफा सिर्फ 1.2% बढ़ा, जो पिछले तीन साल में सबसे कम बढ़त है। लेकिन देश की सभी लिस्टेड कंपनियों का मुनाफा 10.8% बढ़ा, जो काफी अच्छा है। इसका मतलब है कि छोटी और मझोली कंपनियों ने बड़ी कंपनियों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है।

बिक्री में भी बड़ी कंपनियां पीछे, छोटे कारोबारों की तेजी बरकरार

निफ्टी-50 कंपनियों की बिक्री Q2FY26 में सिर्फ 6.4% बढ़ी, जो पिछले 17 तिमाहियों में सबसे कमजोर बढ़त है। इसके मुकाबले, देश की बाकी सभी लिस्टेड कंपनियों की बिक्री 7.2% बढ़ी। पिछले चार तिमाहियों से बड़ी कंपनियां बाकी कंपनियों से पीछे चल रही हैं। कुल 10 तिमाहियों में से 8 बार निफ्टी-50 कंपनियों का प्रदर्शन बाकी कंपनियों से खराब रहा है।

निफ्टी-50 का योगदान घटा, कॉर्पोरेट मुनाफे में हिस्सा पांच साल के निचले स्तर पर

निफ्टी-50 की बड़ी कंपनियों की कमाई कमजोर रही, इसलिए उनका कुल मुनाफे में हिस्सा भी कम हो गया है। Q2FY26 में निफ्टी-50 का शेयर गिरकर 50% रह गया, जो पिछले 5 साल में सबसे कम है। तीन साल पहले यह लगभग 60% था। इस तिमाही में निफ्टी-50 कंपनियों ने मिलकर ₹1.81 ट्रिलियन का मुनाफा कमाया। यह पिछले साल से थोड़ा ज्यादा है, लेकिन पिछले चार तिमाहियों में सबसे कम है। इसके मुकाबले देश की बाकी 2,647 कंपनियों का कुल मुनाफा बढ़कर ₹3.62 ट्रिलियन पहुंच गया।

मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों का दबदबा

मोतिलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार ज्यादा कमाई मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों ने की है। मिडकैप-150 कंपनियों का मुनाफा 27% बढ़ा और स्मॉलकैप-250 कंपनियों का मुनाफा 37% बढ़ गया। इसके मुकाबले बड़ी कंपनियों (Nifty 100) की कमाई सिर्फ 10% बढ़ी। साथ ही, प्राइवेट बैंकों और बड़ी ऑटो कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन भी बड़ी कंपनियों की मुश्किल बढ़ा रहा है।

कौन से सेक्टर आगे बढ़े और निफ्टी-50 क्यों पिछड़ा?

एलारा कैपिटल के विश्लेषकों के अनुसार, इस बार ज्यादा कमाई ऊर्जा, धातु, सीमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, मटेरियल और ऑटो जैसे सेक्टर्स से हुई है। इन सेक्टरों को चक्रीय सेक्टर कहा जाता है, यानी इनकी कमाई समय-समय पर ऊपर-नीचे होती रहती है। निफ्टी-50 में इन सेक्टरों की कंपनियां कम हैं। निफ्टी-50 में ज्यादातर बैंक, आईटी, FMCG और तेल–गैस जैसी कंपनियां शामिल हैं, और इस तिमाही में इन सेक्टरों की बढ़त ज्यादा नहीं रही। इसी वजह से बड़ी कंपनियों की कमाई छोटी और मिडकैप कंपनियों के मुकाबले कमजोर दिखी।

क्या यह अंतर आगे भी जारी रहेगा?

सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के को–हेड ऑफ रिसर्च और इक्विटी स्ट्रैटेजी धनंजय सिन्हा का कहना है कि बड़ी और छोटी कंपनियों के बीच दिख रहा यह अंतर हमेशा के लिए नहीं है। उनके मुताबिक, मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों की तेज कमाई इसलिए दिख रही है क्योंकि पिछले साल इन कंपनियों का बेस कमजोर था और इस बार कुछ सेक्टर सिर्फ थोड़े समय के लिए अच्छा कर रहे हैं। आने वाले महीनों में बड़ी कंपनियों की कमाई भी बढ़ सकती है और दोनों के बीच का फर्क कम हो सकता है।

लेकिन सिन्हा चेतावनी भी देते हैं कि अभी भी लोगों की खरीदारी यानी डिमांड कमजोर है। थोक बाजार से मिली जानकारी बताती है कि टैक्स कम होने के बाद भी सामान की खरीदी में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसके अलावा हाल ही में निर्यात घटा है, जिसकी वजह से आने वाले समय में कंपनियों की कमाई और विकास पर दबाव बढ़ सकता है।

First Published : November 25, 2025 | 9:59 AM IST