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वर्ल्ड बैंक को महंगाई दर 5.9% रहने की आस, आर्थिक वृद्धि का अनुमान रखा बरकरार

विश्व बैंक का अपडेट तब आया है, जब शुक्रवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होने वाली है।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- October 03, 2023 | 10:43 PM IST

वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) का अनुमान 5.2 फीसदी से बढ़ाकर 5.9 फीसदी कर दिया है। मगर उसने निवेश में दमदार वृद्धि को मद्देनजर रखते हुए 6.3 फीसदी आर्थिक वृद्धि का अनुमान बरकरार रखा है।

भारत अपनी छमाही अपडेट रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है, ‘मॉनसून के महीनों के दौरान असामान्य बारिश के कारण जुलाई 2023 में खाद्य वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ गईं। अगस्त में उनमें कमी आई, लेकिन वित्त वर्ष के बाकी महीनों में मुख्य मुद्रास्फीति पर उसका असर जारी रहने के आसार हैं।’

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर चलने वाली खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 15 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी। मगर सब्जियों के भाव नरम पड़ने से अगस्त में घटकर यह 6.83 फीसदी रह गई।

विश्व बैंक ने कहा, ‘तेल की कीमतों में 2022 के सर्वोच्च स्तर से नीचे आ गए हैं और इससे महंगाई पर लगाम कसने में कुछ मदद मिलेगी। लेकिन तेल के भाव महामारी से पहले के दाम से ऊपर बने रहने के आसार हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रियायत वापस लिए जाने और पिछले एक साल में नीतिगत दरें बढ़ाए जाने से भी मुख्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में मदद मिली है।’

विश्व बैंक का अपडेट तब आया है, जब शुक्रवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होने वाली है। खाद्य मुद्रास्फीति अब नियंत्रण में है और माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। अगस्त में केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया था।

विश्व बैंक ने कहा है कि मौसम तथा आपूर्ति बिगड़ने से बढ़ी महंगाई कुछ समय में नीचे आ जाएगी मगर इससे खपत पर असर पड़ेगा। मगर उसने कहा कि कुल मिलाकर स्थितियां निजी निवेश के माकूल हैं। अपडेट में कहा गया है कि पिछले साल की वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही थी। इस साल नरमी है मगर उसे उम्मीद है कि भारत सबसे तेजी से उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बरकरार रहेगा।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्त तानो कुआमे ने कहा, ‘चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के कारण निकट भविष्य में लघु अवधि में चुनौतियां बरकरार रहेंगी। सार्वजनिक खर्च पर जोर देने से निजी निवेश बढ़ेगा। इससे भारत के लिए भविष्य में वैश्विक अवसरों का लाभ उठाने और उच्च वृद्धि दर्ज करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होंगी।’

विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक ध्रुव शर्मा ने कहा, ‘शीर्ष मुद्रास्फीति में वृद्धि कुछ समय के लिए खपत कम कर सकती है, जिसके कारण हम नरमी का अनुमान जता रहे हैं। कुल मिलाकर निजी निवेश के लिए परिस्थितियां अनुकूल बनी रहेंगी।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक मूल्य श्रृंखला में नए सिरे से संतुलन आ रहा है, जिससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ने की संभावना है।

रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा जीडीपी के 8.7 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया है। विश्व बैंक ने कहा है कि सार्वजनिक ऋण जीडीपी का 83 फीसदी रह सकता है।

First Published : October 3, 2023 | 10:41 PM IST