Stock Market: बेंचमार्क सूचकांकों (Benchmark indices) में शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन गिरावट आई क्योंकि बॉन्ड के बढ़ते प्रतिफल, तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव का असर जोखिम उठाने की स्वाभाविक इच्छा पर पड़ा।
निफ्टी-50 (Nifty-50) इंडेक्स 82 अंक टूटकर 19,543 पर बंद हुआ, वहीं सेंसेक्स (Sensex) 231 अंकों की नरमी के साथ 65,398 पर टिका। इस हफ्ते सेंसेक्स व निफ्टी में क्रमश: 1.3 फीसदी व 1.1 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
हमास के बढ़ते संघर्ष को लेकर चिंता में और इजाफा हुआ जब अमेरिका ने कहा कि इराक व सीरिया में उसके सैन्य आधार पर हमले हुए। रिपोर्ट से पता चलता है कि हॉती लड़ाके की तरफ से इजरायल की ओर छोड़ी गई मिसाइल को अमेरिका ने मार गिराया।
कच्चे तेल में हो सकता है और इजाफा
विश्लेषकों ने कहा कि कच्चे तेल में और इजाफा हो सकता है क्योंकि हमास के संघर्ष में नरमी के कोई संकेत नहीं दिख रहे। शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड 94 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रहा था।
तेल की बढ़ती कीमतों को भारतीय इक्विटी के लिए नकारात्मक माना जाता है क्योंकि भारत अपनी जरूरतों का तीन चौथाई तेल का आयात करता है।
इस बीच, 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जीरोम पॉवेल के इस बयान के बाद 20 जुलाई, 2007 के बाद पहली बार 5 फीसदी पर पहुंच गया कि महंगाई अभी भी ज्यादा है और इसके लिए आर्थिक वृद्धि नीचे रखे जाने की दरकार पड़ सकती है। बॉन्ड प्रतिफल थोड़ा नरम हुआ और यह 4.94 फीसदी पर ट्रेड कर रहा था।
फेडरल रिजर्व प्रमुख ने गुरुवार को कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ताकत और श्रम के सख्त हालात उधारी में सख्ती की जरूरत बताती है। हालांकि उन्होंने कहा कि बाजार में ब्याज की बढ़ती दरों को देखते हुए केंद्रीय बैंक को कदम उठाना कम आवश्यक लग सकता है।
तिमाही नतीजे और भूराजनीतिक स्थिति बाजार को देंगे दिशा
फेड प्रमुख की टिप्पणी अमेरिका के अन्य मौद्रिक नीति निर्माताओं के मुताबिक ही है। आने वाले समय में तिमाही नतीजे और पश्चिम एशिया की भूराजनीतिक स्थिति अगले हफ्ते बाजार को दिशा देंगे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, कम कार्यदिवस वाले अगले सप्ताह में हमें नतीजे के सीजन के जोर पकड़ने की उम्मीद है, जो वैश्विक संकेतों के साथ बाजार को दिशा देगा।