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Opinion: डेटा सुरक्षा से जुड़े जटिल सवालों का क्या हो समाधान

नई दिल्ली में प्रति वर्ग मील के दायरे में तकरीबन 1900 कैमरे हैं, जो दुनिया में इतनी दूरी के लिए निगरानी कैमरों की सबसे अधिक संख्या है और यह लंदन, न्यूयॉर्क और यहां तक कि पेइचि

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अजित बालकृष्णन   
Last Updated- August 18, 2023 | 9:38 PM IST

बेहतर होगा तकनीक क्षेत्र से जुड़े देश के सबसे बुद्धिमान और गहरी सोच वाले लोग डेटा संरक्षण के लिए काम करें। ​विस्तार से बता रहे हैं अजित बालकृष्णन

पिछले हफ्ते मैं अपनी कार की पिछली सीट पर बैठ कर किंडल पर मशीन-लर्निंग तकनीक से जुड़ी हाल की सफलताओं के बारे में पढ़ रहा था। मुंबई हवाईअड्डे से घर तक जाने के दौरान मैं पढ़ने में गहराई से डूबा हुआ था (हालांकि मेरे दोस्तों को मेरे बारे में यह बात बेहद उबाऊ लगती है) और मेरे ड्राइवर गाड़ी चला रहे थे जो काफी लंबे समय से मेरी गाड़ी चला रहे हैं।

मुझे अचानक महसूस हुआ कि मेरी कार की रफ्तार धीमी हो गई है। जब मैंने अपना सर ऊपर उठाया तो देखा कि हमारी कार के सामने एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी हमें गाड़ी रोकने के लिए हाथ हिला रहा था। हमारी गाड़ी रुक गई और उस पुलिसकर्मी ने ड्राइवर के पास जाकर ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने की मांग की।

इसके बाद उसने अपनी हथेली में मौजूद गैजेट को टैप किया। जाहिर है कि उसने ड्राइवर के लाइसेंस से कुछ डेटा दर्ज किया। जब मेरे ड्राइवर ने उससे पूछा कि हमने क्या गलत किया है, तब उसने मराठी में थोड़ा अपमानजनक सुर में कहा, ‘आपकी कार जब आगे बढ़ी और उस वक्त पीली बत्ती जल रही थी और हरी बत्ती नहीं थी। ट्रैफिक लाइट पर मौजूद सीसीटीवी कैमरे में यह दिखा है।’

इस दौरान मैं और मेरा ड्राइवर विनम्रता के साथ शांति से बैठे रहे क्योंकि हम मुंबई के ट्रैफिक पुलिसकर्मी से कोई बहस नहीं करना चाहते थे। इसके बाद पुलिसकर्मी कार के सामने गया और अपने गैजेट का इस्तेमाल कर कार की नंबर प्लेट की तस्वीर ले ली और फिर हाथ हिलाकर हमें आगे बढ़ने की अनुमति दे दी। हमने कोलाबा में अपने घर के लिए अपनी यात्रा फिर से शुरू की।

अगली सुबह, मुझे मुंबई ट्रैफिक पुलिस से एक एसएमएस मिला कि कार के पंजीकृत मालिक होने के नाते मुझ पर ट्रैफिक लाइट का उल्लंघन करने की वजह से 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। ठीक उस वक्त मुझे अहसास हुआ कि मेरी कार का नंबर मेरे मोबाइल नंबर और मेरे आधारकार्ड नंबर से जुड़ा हुआ है और फिर यह मेरे आयकर रिटर्न नंबर से जुड़ने के साथ भी कई चीजों से जुड़ा हुआ है। निश्चित रूप से इसके बाद अब कुछ बचा ही नहीं है।

उस वक्त मेरे दिमाग में कुछ आंकड़े कौंध रहे थे जैसे कि मुंबई में हम सभी पर नजर रखने वाले प्रति वर्ग मील पर लगभग 170 निगरानी कैमरे हैं, जो दुनिया के किसी भी शहर में इतनी दूरी पर मौजूद कैमरे के लिहाज से 18वें पायदान पर है।

दूसरी तरफ नई दिल्ली में प्रति वर्ग मील के दायरे में तकरीबन 1900 कैमरे हैं, जो दुनिया में इतनी दूरी के लिए निगरानी कैमरों की सबसे अधिक संख्या है और यह लंदन, न्यूयॉर्क और यहां तक कि पेइचिंग या शांघाई से भी बहुत आगे है।
आमतौर पर जब मैं इन आंकड़ों को पढ़ता हूं तब मैं तकनीक में दिलचस्पी लेने वाले एक व्यक्ति के तौर पर संतु​ष्टि महसूस करता हूं क्योंकि ये आंकड़े संकेत देते हैं कि भारत कितना आधुनिक है, लेकिन अब मैंने इसको लेकर सोचना शुरू कर दिया है।

कुछ दिन पहले खबर आई कि हमारी सरकार ने डिजिटल सुरक्षा विधेयकर, 2023 पारित कर दिया है। आमतौर पर, मेरी प्रतिक्रिया होती कि यह कितना अच्छा विचार है और यह भारत को अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने की दिशा में ले जाने का एक और कदम है क्योंकि देश अब तकनीक में भी अव्वल है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस की घटना के बाद, मैं गहरी सोच में चला गया और यह सोचने लगा कि यह डेटा एकत्र करना कितना अच्छा है और कितना बुरा और क्या इस डेटा का दुरुपयोग प्राधिकरण के लोगों द्वारा किया जा सकता है?

भारत में ‘डेटा सुरक्षा’ को लेकर अधिकांश उत्साह नैसकॉम (आईटी सेवा कंपनियों का व्यापार संघ), इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (अब गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य बड़ी प्रौद्योगिकी विदेशी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है) और आश्चर्यजनक रूप से प्रमुख भारतीय दवा कंपनियों की तरफ से दिखाया जाता है। इसके अलावा ‘इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन’ जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के संगठन भी हैं और दूसरी ओर ऑनलाइन मीडिया कंपनियां किसी भी प्रकार के डेटा संरक्षण कानून के जोखिमों पर जोर-शोर से विमर्श कर रही हैं।

दूसरी ओर हमारी घबराहट इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि नागरिक के रूप में ‘निजता’ को लेकर हमारी सदियों पुरानी एक अवधारणा है। हमारे लिए ‘निजता’ का मतलब यह है कि कोई अजनबी हमारे घरों में झांके नहीं और हमारे ‘निजी जीवन’ में सेंध नहीं लगाए।

निजता का मतलब है कि लोग इस बारे में बहुत उत्सुक न हों कि आप कितना पैसा कमाते हैं, आपका ताल्लुक किस जाति से है या सेहत से जुड़ी हमारी क्या समस्याएं हैं। इस तरह के सवालों के लिए हमारी सामान्य प्रतिक्रिया हमेशा से यह रही है कि ‘आपको इससे क्या मतलब है!’ यह आमतौर पर जिज्ञासा को वहीं खत्म कर देता है।

कंप्यूटर, डेटा और इंटरनेट की दुनिया में कई वर्षों तक इस बात पर बहुत अधिक सवाल नहीं उठाए गए कि किसी भी उपयोगकर्ता के डेटा का संभावित नकारात्मक उपयोग क्या हो सकता है जब तक कि 2018 में ‘कैंब्रिज एनालिटिका के स्कैंडल’ का पता नहीं चला। इस ब्रितानी कंपनी ने 8.7 करोड़ लोगों के प्रोफाइल एकत्र करने के लिए फेसबुक पर अपने ऐप का इस्तेमाल किया था और इनका इस्तेमाल अमेरिका के 2016 के चुनाव अभियान में डॉनल्ड ट्रंप की मदद करने के लिए किया था।

ऐसी चिंताओं को 2013 में तब और तेजी मिली जब एडवर्ड स्नोडेन ने खुलासा किया कि कैसे अमेरिकी खुफिया एजेंसियां नागरिकों की निगरानी करने के लिए निजी डेटा का उपयोग कर रही थीं। इसके बाद और भी चिंता बढ़ी जब नागरिकों के निजी डेटा का दुरुपयोग करने के लिए यूरोपीय अधिकारियों ने गूगल पर 5 करोड़ डॉलर और एमेजॉन पर 80 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया।

लेकिन चिंता न करें, अतीत में भी इस तरह की नई चीजें आईं हैं जिनसे बेशक हमें लाभ मिला लेकिन ये कहीं न कहीं हमारी ‘निजता’ को जोखिम में डालने वाले थे। इसको लेकर एक प्रमुख उदाहरण यह है कि जब 19वीं शताब्दी में डाक कंपनियों ने पोस्टकार्ड पेश किए, तब इसको लेकर व्यापक तौर पर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आईं थीं, जैसे कि मैं पोस्टकार्ड का उपयोग क्यों करूंगा जब डाकिया सहित कोई भी व्यक्ति इसमें लिखा सब कुछ पढ़ सकता है। लेकिन समय के साथ, कम लागत और डिलिवरी की बेहतर रफ्तार के कारण पोस्टकार्ड मशहूर होते गए।

इन घटनाओं की वजह से ‘व्यक्तिगत डेटा’ और ‘निजता’ को लेकर एक नया और जटिल दृष्टिकोण बना है और अब यह आलम है कि दुनिया भर में सरकारें डेटा संरक्षण कानूनों को लागू करने की होड़ में जुटी हैं। ऐसा करते हुए सरकारों को लग रहा है कि वे दोहरी भूमिका में आ गईं हैं, पहली भूमिका यह है कि उन्हें निजी डेटा के उपयोग को लेकर व्यावसायिक कंपनियों और नागरिकों के बीच मध्यस्थता जरूर करनी है और दूसरे स्तर पर राष्ट्रीय रक्षा और अन्य भू-रणनीतिक उद्देश्यों के लिए अपने नागरिकों के डेटा के उपयोग में अन्य संप्रभु राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले देश की भूमिका भी निभानी है।

दुनिया का सबसे अच्छा लोकतंत्र होने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी अग्रणी देश बनने के हमारे लक्ष्य को पूरा करने में डेटा संरक्षण बोर्ड जितनी कोई भी नीतिगत पहल महत्त्वपूर्ण नहीं होगी जिसकी परिकल्पना हाल ही पारित हुए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम में की गई है। ऐसे में हमारे लिए यह अहम है कि इसके लिए तकनीक क्षेत्र से जुड़े देश के सबसे बुद्धिमान और गहरी सोच वाले लोग काम करें।

(लेखक इंटरनेट उद्यमी हैं)

First Published : August 18, 2023 | 9:38 PM IST