उद्योग जगत के दिग्गजों ने भारत की अर्थव्यवस्था लचीली होने को लेकर भरोसा जताया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के मुताबिक वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सीआईआई का कारोबारी विश्वास सूचकांक (बिजनेस कॉन्फीडेंस इंडेक्स) अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान पिछले दो साल के उच्चतम स्तर पर रहा है।
सीआईआई ने कहा है कि वित्तीय हालत तंग रहने और वैश्विक रूप से भू-राजनीतिक तनाव के बीच सर्वेक्षण में शामिल 73 प्रतिशत लोगों ने यह उम्मीद जताई है कि वैश्विक मंदी का भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत मामूली असर ही पड़ेगा। प्रतिक्रिया देने वालों का आत्मविश्वास इससे आंका जा सकता है कि 86 प्रतिशत का मानना है कि सरकार का बुनियादी ढांचे पर जोर देना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे सकारात्मक बात है।
इसके अलावा कर संग्रह और वस्तुओं की खपत में भी सुधार हुआ है। यह सर्वेक्षण नवंबर-दिसंबर 2022 के दौरान कराया गया। इसमें 120 से ज्यादा फर्मों ने हिस्सा लिया, जिसमें उद्योग के सभी क्षेत्रों के सभी आकार की फर्में शामिल हुईं। एक बयान में कहा गया है, ‘वैश्विक व्यवधानों के कारण आगे वृद्धि में और कमी आने की संभावना है। ऐसे में वृद्धि को समर्थन देने में रिजर्व बैंक की भूमिका अहम है और उसे आगे ब्याज दौर में बढ़ोतरी करने से बचना चाहिए।’
सर्वेक्षण में शामिल 47 प्रतिशत लोगों ने संकेत दिए कि रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में बढ़ोतरी से कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाले असर की आंच उन्हें पहले ही महसूस होने लगी है।’ इसमें कहा गया है कि उच्च ब्याज दरों ने निजी निवेश पर भी असर डाला है। इसमें कहा गया है, ‘ज्यादा उधारी लागत के साथ बढ़ती अनिश्चितता की वजह से फर्में अपनी निवेश योजनाओं को टाल रही हैं।’
बहरहाल सर्वे के मुताबिक प्रतिक्रिया देने वाले करीब सभी लोगों (90 प्रतिशत) ने अपनी कंपनी के निवेश चक्र को लेकर उत्साहजनक पूर्वानुमान प्रस्तुत किया और कहा कि उनकी कंपनी का निवेश चक्र अगले वित्त वर्ष के दौरान ठीक हो जाएगा।’प्रतिक्रिया देने वालों का यह भी कहना है कि नीति निर्माताओं ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया है। इसका खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद ज्यादा असर हुआ है। इसमें कहा गया है, ‘यह उल्लेखनीय है कि कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ ग्रामीण मांग में रिकवरी की उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा की जा रही है और करीब 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में ग्रामीण खपत में बढ़ोतरी होगी।’
कारोबारी गतिविधियां ठीक होने के साथ अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सुधार की उम्मीद जताई गई और प्रतिक्रिया देने वाले 60 प्रतिशत लोगों ने अनुमान लगाया है कि बिक्री बढ़ेगी। वहीं 55 प्रतिशत ने अनुमान लगाया है कि नए ऑर्डर में सुधार होगा।
इसी क्रम में मुनाफे में सुधार की भी उम्मीद जताई गई है। 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मुनाफे में बढ़ोतरी होगी, हालांकि ज्यादातर लोगों ने संकेत दिया कि इनपुट लागत ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हालांकि इनपुट लागत का दबाव अभी ज्यादा है, लेकिन पिछले के वित्त वर्ष की तुलना में कम हो गया है। प्रतिक्रिया देने वाले 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कच्चे माल की लागत अक्टूबर-दिसंबर के दौरान बढ़ी हुई बनी रही है, जबकि पहले की तिमाही में 59 प्रतिशत लोगों ने ऐसा कहा था।’