केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को कहा कि जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं महंगाई और मंदी की दोहरी चुनौतियों से जूझ रही हैं तब भी भारत आशावादी और सकारात्मक होने की स्थिति में है।
उन्होंने कुछ खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने से रोकने के लिए किए जा रहे उपायों का भी जिक्र किया जिसमें विशेष रूप से टमाटर शामिल है और इसमें पड़ोसी देशों से दालों और टमाटर का आयात करना भी शामिल है।
सीतारमण ने मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में कहा, ‘वर्ष 2013 में मॉर्गन स्टैनली ने भारत को दुनिया की पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया था, आज उसी मॉर्गन स्टैनली ने भारत को ऊंची रेटिंग दी है और यह रेटिंग हमारी सरकार की नीतियों और आर्थिक सुधार की वजह से मिल रही है और इसी वजह से भारत अपनी भविष्य की वृद्धि को लेकर आशावादी और सकारात्मक है।
उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में, कोविड के बावजूद हमारी सरकार की बेहतर नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई और आर्थिक विकास हुआ। फिलहाल हम दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में खड़े हैं।’
भारत की स्थिति ‘ओवरवेट’ में अपग्रेड
मॉर्गन स्टैनली ने पिछले सप्ताह भारत की स्थिति को ‘ओवरवेट’ में अपग्रेड किया जिसके बाद भारत इसकी ब्रोकिंग कंपनी के पोर्टफोलियो के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है।
वित्त मंत्री ने वैश्विक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था महंगाई और मंद वृद्धि की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3 प्रतिशत थी और वर्ष 2023 के लिए विश्व बैंक के अनुमान से यह संकेत मिलते हैं कि यह कम होकर 2.1 प्रतिशत रह सकती है। इस बीच भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7.2 प्रतिशत है और वर्ष 2023-24 में इसके 6.5 प्रतिशत तक के स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।’
उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देश और यूरो क्षेत्र बड़ी मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं। सीतारमण ने कहा, ‘यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंगलैंड ने कई बार ब्याज दरें बढ़ाईं। इसके अलावा चीन जैसी महत्त्वपूर्ण अर्थव्यवस्था को भी उपभोक्ताओं की मांग और वेतन स्थिरता से जुड़े मुद्दों से जूझना पड़ रहा है।’
संप्रग सरकार के कारण एक दशक बरबाद हुआ
केंद्रीय मंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार द्वारा अमल किए गए विभिन्न उपायों का जिक्र करते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार के कार्यों के साथ उसकी तुलना की। उन्होंने कहा, ‘पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में भ्रष्टाचार और पूंजीवादी सांठगांठ के कारण पूरा एक दशक बरबाद हो गया। लेकिन पिछले 9 वर्षों में हमारी सरकार ने विपरीत परिस्थिति और संकट को सुधार तथा अवसर में बदलने का काम किया गया। उदाहरण के तौर पर आप बैंकिंग क्षेत्र को ही लें हमें संप्रग सरकार के दौरान फैलाए गए रायता को साफ करना पड़ा।’
कुछ खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रित करने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ ने राजस्थान, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश में करीब 882,000 किलोग्राम टमाटर का वितरण किया और यह वितरण आने वाले दिनों जारी रहेगा।
टमाटर की कीमतें 100 रुपये से कम हो गईं: सीतारमण
सीतारमण ने कहा, ‘आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की थोक मंडियों में टमाटर की कीमतें 100 रुपये से कम हो गईं हैं और हमें उम्मीद है कि इससे हमें मदद मिलेगी। हमने आज तक कोलार मंडी से दिल्ली तक 85 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से टमाटर की खरीद की है और हम आयात प्रतिबंधों को हटाकर नेपाल से टमाटर का आयात शुरू करेंगे। शुक्रवार तक नेपाल से टमाटर की पहली खेप बनारस और कानपुर तक पहुंच जाएगी।’
दाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले तुअर दाल के आयात में बढ़ोतरी है और मोजांबिक से भी माल आ रहा है। इसी तरह उड़द दाल का आयात भी म्यांमार से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मूंग और मसूर दाल की पर्याप्त आपूर्ति है। इसके अलावा किसी संभावित कीमत बढ़ोतरी को रोकने के लिए 300,000 टन प्याज को बफर स्टॉक से जोड़ा गया है। कांग्रेस सरकार के ‘गरीबी हटाओ’ नारे का हवाला देते हुए उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसा वास्तव में हो पाया।
उन्होंने कहा, ‘संप्रग के समय ‘बनेगा, मिलेगा’ जैसे शब्द प्रचलन में थे। लेकिन आजकल लोग ‘बन गया, मिल गया, आ गया’ जैसे शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम सभी को सशक्त करने और किसी का तुष्टीकरण नहीं करने पर भरोसा करते हैं।’
चर्चा के दौरान ही उन्होंने मदुरै में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के लिए प्रस्तावित बजट आवंटन का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भूमि अधिग्रहण में देरी की वजह से आवंटन राशि बढ़कर 700 करोड़ रुपये हो गई है और इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है।