भारत की प्रमुख आईटी सेवा कंपनियां बड़े और मेगा सौदे हासिल करने पर जोर दे रही हैं। इससे उन्हें ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आय और वृद्धि को रफ्तार देने और लंबी अवधि में अधिक लागत बचाने में मदद मिलेगी।
आम तौर पर आईटी कंपनियां 10 करोड़ डॉलर या इससे अधिक के सौदों को बड़े सौदों की श्रेणी में रखती हैं, जबकि 50 करोड़ डॉलर या इससे अधिक के सौदे को मेगा सौदा कहा जाता है।
विप्रो के सीईओ थिएरी डेलापोर्ट ने हाल में कंपनी के वित्तीय नतीजे जारी करने के दौरान कहा था कि कंपनी फिलहाल बिना फायदे वाले छोटे ग्राहकों के बजाय बड़े सौदे हासिल करने पर ध्यान दे रही है।
विप्रो ने दूसरी तिमाही में 10 करोड़ डॉलर से अधिक के 22 सौदे हासिल किए जो कि वित्त वर्ष 2021 की समान अवधि के मुकाबले दोगुना है। उसके बड़े सौदों का कुल अनुबंध मूल्य (टीसीवी) 1.3 अरब डॉलर रहा जो पिछली 9 तिमाहियों में सबसे अधिक है।
डेलापोर्ट ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने न केवल सौदों की संख्या बल्कि सौदे के आकार को भी बढ़ाया है। तिमाही के दौरान हमने दो सौदे करीब आधे अरब डॉलर के हासिल किए। इन सौदों को मुख्य तौर पर क्लाउड परिवर्तन कार्यक्रम से रफ्तार मिली। आज इन सौदों की लागत काफी कम है।’
दूसरी तिमाही में इन्फोसिस के बड़े सौदों का टीसीवी 7.7 अरब डॉलर पर अब तक का सर्वाधिक रहा। पहली छमाही में बड़े सौदों का टीसीवी 10 अरब डॉलर रहा जो वित्त वर्ष 2023 में हासिल कुल बड़े सौदों से अधिक है।
इन्फोसिस के एमडी एवं सीईओ सलिल पारेख ने वित्तीय नतीजे जारी करने के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा, ‘दूसरी तिमाही के हमारे बड़े सौदों में चार मेगा सौदे शामिल हैं। इसके अलावा हमने 1.5 अरब डॉलर के सौदों के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं जिन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है। पिछली दो तिमाहियों के दौरान बड़े सौदे हासिल करने के साथ ही हम लागत, दक्षता, स्वचालन और एआई के क्षेत्र में बाजार हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।’
विश्लेषकों का मानना है कि तमाम छोटे सौदों के बजाय कुछ ही बड़े सौदों से आईटी कंपनियों को अधिक फायदा हो सकता है।
गार्टनर के वरिष्ठ प्रधान विश्लेषक विश्वजीत मैती ने कहा, ‘आईटी वेंडर अपने ग्राहकों के साथ बड़े सौदों को जारी रख रहे हैं क्योंकि इससे उनकी आय बढ़ने के अलावा लंबे समय की प्रतिबद्धता और अपनी विशेषज्ञता दिखाने का अवसर भी मिलता है। इसके अलावा मेगा सौदे की लागत भी कम होती है और उसमें रणनीतिक साझेदारी एवं नवाचार की संभावनाएं भी होती हैं। इससे कंपनियों को अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बढ़त हासिल करने में भी मदद मिलती है।’
एचसीएल टेक ने दूसरी तिमाही के दौरान 3.9 अरब डॉलर के टीसीवी के साथ कुल 16 बड़े सौदे हासिल किए। अगस्त में कंपनी ने वेरिजॉन बिजनेस से छह साल के लिए 2.1 अरब डॉलर का अनुमानित टीसीवी का सौदा हासिल किया था। यह 2019 में 1.3 अरब डॉलर के जेरॉक्स नवीनीकरण सौदे के बाद कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा सौदा था।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने दूसरी तिमाही के दौरान 11.2 अरब डॉलर टीसीवी की ऑर्डर बुक का खुलासा किया था। इसमें बीएसएनएल और जेएलआर में से प्रत्येक के साथ 1 अरब डॉलर का सौदा शामिल है।
टीसीएस के एमडी एवं सीईओ के कृत्तिवासन ने दूसरी तिमाही के नतीजों के दौरान कहा था, ‘दमदार सौदों के कारण दूसरी तिमाही में हमारी ऑर्डर बुक काफी बड़ी हो गई। हमारी सेवाओं के लिए दमदार मांग, लंबी अवधि के कार्यक्रमों के लिए ग्राहकों की प्रतिबद्धता और एआई एवं अन्य नई प्रौद्योगिकी पर जोर से लंबी अवधि की वृद्धि संभावनाओं में हमारा भरोसा बढ़ता है।’