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Editorial: इजरायल और हमास के बीच ​सुलह नहीं, संघर्ष विराम

इजरायल ने संकेत दिया कि बंदियों की अदला-बदली शुक्रवार तक टलेगी। इसे गुरुवार को स्थानीय समयानुसार 10 बजे आरंभ होना था।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- November 23, 2023 | 8:58 PM IST

यह सही है कि दुनिया भर के नेताओं ने इजरायल और हमास के बीच चार दिवसीय संघर्ष विराम का स्वागत किया है लेकिन ऐसा लगता नहीं कि यह दोनों पक्षों के बीच छिड़ी लड़ाई में दीर्घकालिक शांति ला पाएगा। बंदियों की अदला-बदली और संघर्ष का केंद्र बनी गाजापट्‌टी में मानवीय सहायता पहुंचाने को लेकर हुए समझौते की स्याही सूख भी नहीं पाई थी कि उत्तरी गाजा में भीषण लड़ाई दोबारा शुरू हो गई।

इजरायल ने संकेत दिया कि बंदियों की अदला-बदली शुक्रवार तक टलेगी। इसे गुरुवार को स्थानीय समयानुसार 10 बजे आरंभ होना था। इसके तहत 50 महिलाओं और 19 वर्ष तक की आयु के बच्चों को इजरायल की जेलों में कैद 150 फिलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों के बदले रिहा किया जाना था। समझौते की भंगुर प्रकृति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि समय और तरीके को लेकर समझौते अभी होने बाकी हैं।

दोनों पक्षों के बीच गहरा अविश्वास है। इजरायल ने कहा है कि युद्ध विराम और सहायता पहुंचने देने का काम तभी शुरू होगा जब हमास इजरायली बंधकों को रेड क्रॉस के हवाले करेगा। हमास नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि वह युद्ध विराम पर सहमत है लेकिन ‘उसका हाथ बंदूक के ट्रिगर पर बना रहेगा।’

इस समय 190 इजरायली बंधक केंद्र में हैं जिन्हें हमास ने 7 अक्टूबर को बंधक बनाया था। इस बीच इजरायल ने 7 अक्टूबर के पहले 5,200 फिलिस्तीनियों को जेल में डाल दिया था और उसके बाद उसने 3,000 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें 145 बच्चे और 90 महिलाएं शामिल हैं। इस बात की संभावना है कि हर 10 अतिरिक्त बंधकों की रिहाई के साथ युद्ध विराम को एक-एक दिन के लिए बढ़ाया जाए। इस मामले में इजरायल ने 300 फिलिस्तीनी कैदियों की सूची जारी की है।

यह समझौता कतर और मिस्र की मदद से हुआ है और यह गाजा में मानवीय त्रासदी को कुछ हद तक कम कर सकता है लेकिन अमेरिका का समर्थन प्राप्त इजरायल ने लंबी अवधि के युद्ध विराम से इनकार किया है और इसलिए वहां लंबी शांति की उम्मीदों को झटका लगा है।

इजरायल ने कहा है कि अगर वह ऐसा करेगा तो हमास को दोबारा हथियारबंद होने का समय मिल जाएगा। इन हालात में इस 75 वर्ष पुराने संकट को लेकर किसी दीर्घकालिक हल पर पहुंचने से जुड़ी कोई भी चर्चा दूर की कौड़ी है। इस लड़ाई में अनिवार्य रूप से कूटनीतिक खामियों का विस्तार हो रहा है। यह बात संयुक्त राष्ट्र में मतदान के रुझान से भी स्पष्ट है।

बुधवार को ब्रिक्स ने गाजा में चल रही लड़ाई को लेकर विशेष आभासी बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों के बीच के आपसी मतभेदों पर भी चर्चा की गई।

बैठक में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, अर्जेन्टीना और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भी ​शामिल हुए जिन्हें अगले वर्ष इस समूह में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया है। इन देशों ने एक संयुक्त वक्तव्य में ‘फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन से जबरन हटाने की किसी भी व्यक्तिगत या सामूहिक कोशिश की कड़ी निंदा की गई।’

यह कठोर कूटनीतिक भाषा है जो बताती है कि कई विकासशील देश इजरायल के समर्थन में खड़े विकसित देशों से दूरी बनाए हुए हैं। सबसे कठोर आलोचना दक्षिण अफ्रीका ने की और उसने फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई को ‘युद्ध अपराध’ करार देते हुए गत सप्ताह इजरायल का हवाला अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में भी दिया।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ‘गाजा के लोगों को दिए जा रहे सामूहिक दंड’ को समाप्त करने की मांग की तथा ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने इस युद्ध को ‘मानवीय त्रासदी’ करार दिया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के प्रतिनिधित्व में भारत मुख्यतया खामोश रहा तथा उसने नागरिकों की मौत और हमास के आतंकवाद दोनों का विरोध किया। परंतु इस दौरान इजरायल पर कोई आरोप नहीं लगाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले दिन उम्मीद जताई कि इजरायल-हमास जंग का असर पूरे क्षेत्र पर नहीं होगा लेकिन हालात को देखते हुए यह आशावादी नजरिया लगता है।

First Published : November 23, 2023 | 8:58 PM IST