महामारी के दौरान सरकार द्वारा शुरू की गई आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के कारण बकाया एमएसएमई ऋण का लगभग 12 फीसदी (2.2 लाख करोड़ रुपये) खराब ऋणों में जाने से बचा लिया गया है। इसी प्रकार नवंबर 2022 तक 1.65 करोड़ नौकरियां भी बचाई गई हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने यह अनुमान जताया है। एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग ने कहा, ‘ईसीएलजीएस के कारण बचाए गए 14.6 लाख एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) खातों में से लगभग 93.8 फीसदी सूक्ष्म और लघु श्रेणी में थे। व्यापार खंड (किराना शॉप्स आदि) को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है, इसके बाद फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल और कमर्शियल रियल एस्टेट का स्थान है।’
जनवरी, 2022 में एसबीआई द्वारा जारी इसी तरह की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि नवंबर 2021 तक की अवधि के दौरान 1.8 लाख करोड़ रुपये (14 फीसदी) के एमएसएमई ऋण खातों को एनपीए में जाने से बचाया गया। इससे 1.5 करोड़ श्रमिक बेरोजगार होने से बच गए।
ईसीएलजीएस को मई, 2020 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य पात्र एमएसएमई और व्यावसायिक उद्यमों को उनकी परिचालन देनदारियों को पूरा करने और उनके व्यवसायों को फिर से शुरू करने में सहायता करना था।
योजना के तहत पात्र उधारकर्ताओं को योजना के तहत उनके द्वारा दिए गए ऋण के लिए ऋण देने वाली संस्थाओं को 100 फीसदी ऋण गारंटी दी जाती है। योजना के तहत स्वीकार्य गारंटी सीमा को 4.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।