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देश में आपराधिक घटनाओं में कमी मगर महिलाओं के खिलाफ अपराध में इजाफा

दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक 12,552 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय राजधानी के बाद 5,000 से अधिक मामलों के साथ वित्तीय राजधानी मुंबई का स्थान रहा।

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ऐश्ली वर्गीज   
अनुष्का साहनी   
समरीन वानी   
Last Updated- December 08, 2023 | 11:18 PM IST

पिछला साल भारत के लिए इस मायने में बेहतरीन कहा जा सकता है कि साल 2021 की तुलना में साल 2022 में कम अपराध हुए। भारत में अपराध रिपोर्ट 2022 के अनुसार पुलिस ने पिछले साल 36 लाख मामले दर्ज किए जो साल 2021 की तुलना में 3 फीसदी कम है।

अपराध दर या आबादी के अनुपात में अपराध में भी गिरावट आई है। हालांकि, इस दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध, जातिगत अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी जैसे मामलों में इजाफा हुआ है। इसके अलावा, इसके वैश्विक महामारी के दौरान सुधार के बाद साल 2022 में पुलिस द्वारा आरोप दायर करने वाले मामलों की संख्या भी कम हुई है।

भारत के अलग-अलग शहरों में अपराध दर और आरोप पत्र दाखिल करने की संख्या भी भिन्न थी। पिछले साल कुल मिलाकर 29 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। दिल्ली में एक लाख की आबादी पर 1,832.6 मामले दर्ज किए गए, जो राष्ट्रीय औसत का सात गुना है।

हालांकि शहर में आरोप पत्र दायर करने की दर सबसे कम 30.2 फीसदी रही। जयपुर में अपराध दर एक लाख की आबादी पर 916.7 और इंदौर में 767.7 रही। मुंबई में अपराध दर 376.3 रही और यहां सर्वाधिक आरोप पत्र दायर करने की दर 77 रही।

11 हजार से अधिक मामलों के साथ दिल्ली में अन्य सभी महानगरों की तुलना में सर्वाधिक हिंसक अपराध हुए। इसके बाद मुंबई में 5000 ऐसे मामले थे। बेंगलूरु और पुणे में ऐसे मामलों की संख्या 2,000 से अधिक थी। हिंसक अपराधों में हत्या, भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, गंभीर चोट, अपहरण, दुष्कर्म, दंगे और डकैती आदि शामिल हैं।

राष्ट्रीय अपराध कम होने का मतलब अदालतों में ऐसे मामलों की निपटान नहीं है। विश्लेषण दर्शाते हैं कि साल 2021 की तुलना में सजा दर भी 3 फीसदी कम होकर साल 2022 में 54.2 फीसदी हो गई। वैश्विक महामारी वाले वर्ष यानी 2020 में यह बढ़कर 59 फीसदी हो गई थी। सजा दर कम होने के बावजूद लंबित मामलों की दर भी कम हुई है। साल 2021 के 91 फीसदी से घटकर साल 2022 में करीब 89 फीसदी मामले न्यायालयों में लंबित हैं।

इस बीच महिलाओं पर हो रहे अपराधों के निपटान में भी स्थिति बदतर हुई है। हर दस में से एक अपराध महिलाओं के खिलाफ था। साल 2022 में 3.65 लाख से अधिक मामले महिला प्रताड़ना से जुड़े थे यानी रोजाना करीब 1,001 ऐसे मामले दर्ज किए जा रहे थे। यह साल 2021 की तुलना में 2 फीसदी अधिक है। ऐसे 40 फीसदी मामलों में महिला के पति या उसके रिश्तेदार ही शामिल हैं। अपहरण और शोषण के मामले 23 फीसदी थे तथा दुष्कर्म के मामले इनमें से 8.6 फीसदी थे।

महिलाओं के खिलाफ अपराध में सजा दर भी सभी आपराधिक मामलों से कमतर रही। साल 2022 में सिर्फ 23.3 फीसदी मामलों के दोषियों को सजा सुनाई गई जबकि 93 फीसदी मामले लंबित रहे। दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म जैसे मामलों में सजा दर 69.4 फीसदी थी। वहीं पति द्वारा क्रूरता के मामलों में यह 17.7 फीसदी थी। दोनों अपराधों में 90 फीसदी से अधिक मामले लंबित रहे।

दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक 12,552 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय राजधानी के बाद 5,000 से अधिक मामलों के साथ वित्तीय राजधानी मुंबई का स्थान रहा। जयपुर में लगभग 3,186 ऐसे मामले थे जबकि हैदराबाद से 2,737 मामले और बेंगलूरु से 2,264 ऐसे मामले सामने आए।

वैश्विक महामारी के बाद से अधिकतर लोगों द्वारा डिजिटल लेनदेन का रुख करने से साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में भी वृद्धि हुई है। साल 2022 में ऑनलाइन बैंकिंग में धोखाधड़ी के 6,400 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो 2019 के बाद से ज्यादा वृद्धि है।

जबकि वन टाइम पासवर्ड (OTP) धोखाधड़ी के मामले 430 फीसदी बढ़कर 2,910 से ज्यादा हो गए मगर एटीएम से संबंधित धोखाधड़ी में गिरावट आई है। साल 2022 में इस तरह की धोखाधड़ी में 3,223 पीड़ितों के साथ तेलंगाना पहले स्थान पर रहा। इसके बाद महाराष्ट्र (909), आंध्र प्रदेश (569) और उत्तर प्रदेश (483) का स्थान है।

First Published : December 8, 2023 | 10:16 PM IST