आज का अखबार

सीआर पाटिल के सियासी सितारे बुलंदी पर!

अधिकांश पार्टी कार्यकर्ताओं ने अटकलें लगानी शुरू कर दीं कि पाटिल, पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख के तौर पर रूप में पदोन्नति हासिल कर लेंगे।

Published by
बीएस संपादकीय
Last Updated- January 21, 2023 | 11:28 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शानदार प्रदर्शन के बाद सार्वजनिक रूप से भाजपा की गुजरात इकाई के प्रमुख सीआर पाटिल की सराहना की। उनकी प्रशंसा इतने शानदार तरीके से की गई थी कि अधिकांश पार्टी कार्यकर्ताओं ने अटकलें लगानी शुरू कर दीं कि पाटिल, पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख के तौर पर रूप में पदोन्नति हासिल कर लेंगे। लेकिन जेपी नड्डा प्रतिस्पर्द्धा के लिए डटे हैं, हालांकि पाटिल के सितारे इन दिनों बुलंदी पर हैं।

लेकिन यह स्थिति हमेशा से ऐसी नहीं थी। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जब चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल (उन्होंने ज्योतिषीय कारणों से अपने नाम के अक्षरों में थोड़ा बदलाव किया) को 2020 में भाजपा की गुजरात इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया उस वक्त भी सभी को हैरानी हुई थी। इसकी भी कई वजहें है। उनके पूर्ववर्ती प्रदेश अध्यक्ष जीतु वाघाणी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का शागिर्द माना जाता था और वर्ष 2016 में जब उन्हें यह पद मिला तब वह पार्टी द्वारा नियुक्त सबसे कम उम्र के प्रदेश अध्यक्ष थे। ऐसी अटकलें थीं कि उन्हें दूसरा कार्यकाल भी मिल सकता है क्योंकि पहले भी पुरुषोत्तम रूपाला और आर सी फलदु को दो कार्यकाल मिल चुके हैं।

हालांकि, उन दिनों गुजरात में सामाजिक स्तर पर उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई थी और भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन किया था। ऐसे में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और वाघाणी की जोड़ी को इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ी। इन दोनों की जगह जो नए नाम सामने आए वे हैरान करने वाले थे। भूपेंद्र पटेल को रूपाणी के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया जो पहली बार विधायक बने थे जबकि सूरत के नवसारी से लोकसभा सांसद पाटिल को राज्य में पार्टी प्रमुख बनाया गया।

दरअसल पाटिल गुजराती नहीं हैं और उनके परिवार का ताल्लुक अविभाजित महाराष्ट्र के जलगांव से है। लेकिन चंद्रकांत जब कम उम्र के थे, उन्हीं दिनों उनका परिवार दक्षिण गुजरात चला गया और उन्होंने सूरत के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ाई की। अपने पिता की तरह वह भी गुजरात पुलिस में कांस्टेबल बन गए, लेकिन शराबबंदी वाले गुजरात में शराब माफिया के साथ मेलजोल बढ़ाने का आरोप लगने के बाद उन्होंने पुलिस बल छोड़ दिया। उसके बाद उन्होंने रियल एस्टेट में दिलचस्पी दिखाई और कई लाभदायक परियोजनाओं की शुरुआत की लेकिन उनमें से कुछ में घाटा भी हुआ। उनकी वजह से बैंकों से लिया गया कर्ज भी दिवालियेपन की भेंट चढ़ गया।

यह मामला अक्टूबर 2002 का और सूरत में डायमंड जुबली कोऑपरेटिव बैंक घोटाले से जुड़ा जब उनकी कंपनी अभिषेक एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए 46 करोड़ रुपये का ऋण दो किस्तों में नहीं चुकाया था। आरबीआई के नियमों के मुताबिक एक सहकारी बैंक प्रत्येक ऋण आवेदक को अधिकतम 10 करोड़ रुपये का अग्रिम ऋण दे सकता है।

पाटिल पर बैंक के ब्याज सहित 55 करोड़ रुपये बकाया था। वह एक साल से अधिक समय तक जेल में रहे जब तक कि उन्होंने पहले उच्च न्यायालय में और बाद में वर्ष 2008 में उच्चतम न्यायालय में यह समझौता नहीं कर लिया कि वह उधार ली गई राशि चुकाएंगे। उनके खिलाफ मामला सुलझा लिया गया था और ऋण के साथ ब्याज के रूप में 88 करोड़ रुपये का भुगतान करने के बाद उनकी संपत्ति छोड़ दी गई थी। बेशक, बैंक के 100 से अधिक कर्मचारी जिनकी छंटनी, बैंक का हिसाब-किताब पूरा होने के बाद की गई, वे बड़ी मुश्किल से अपना पिछला बकाया पाने में कामयाब रहे।

पाटिल 1995 में पार्टी के तत्कालीन महासचिव नरेंद्र मोदी के संपर्क में आ चुके थे। केशुभाई पटेल के कार्यकाल के दौरान हुई उथल-पुथल के वक्त वह मोदी के वफादार बने रहे (हालांकि केशुभाई ने ही उन्हें राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम गुजरात एल्कलीज ऐंड केमिकल्स लिमिटेड का अध्यक्ष नियुक्त किया था)। उन्होंने नवसारी में अच्छा काम किया और 2019 के लोकसभा चुनावों में अपनी लगातार तीसरी जीत हासिल की। यह 6.89 लाख वोटों के रिकॉर्ड अंतर से मिली जीत थी।

वह भारत के पहले सांसद थे जिन्होंने अपने कार्यालय के लिए आईएसओ प्रमाणीकरण 9001: 2015 हासिल किया था जो गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के लिए दिया गया था और इसकी वजह से सर्वश्रेष्ठ कारोबारी सेवाएं दी जा सकीं। नवसारी भारत का पहला ‘धुआं रहित’ जिला था। पाटिल ने उज्ज्वला योजना का लाभ उठाते हुए उन परिवारों के लिए सब्सिडी का इंतजाम किया जो उज्ज्वला का लाभ पाने के योग्य नहीं थे, लेकिन उनकी आमदनी कम थी। नवसारी में अब कोई भी जलाऊ लकड़ी या मिट्टी के तेल का इस्तेमाल नहीं करता है। उनसे प्रभावित होकर मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कुछ हिस्सों का प्रबंधन करने के लिए उन्हें जिम्मेदारी सौंपी।

गुजरात में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले पाटिल ने लक्ष्य तय किया था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह चाहते हैं कि राज्य भाजपा सबसे अधिक सीटों, भाजपा द्वारा जीती गई सीटों पर जीत का सबसे ज्यादा अंतर और कुल वोटों की सबसे अधिक संख्या का रिकॉर्ड बनाए। पार्टी इन सभी लक्ष्यों को पूरा करने में कामयाब रही।

भाजपा कार्यकर्ता अब इस बात को लेकर अटकलें लगा रहे हैं कि सीआर पाटिल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में कब पदोन्नत किया जाएगा। सूरत के हीरा व्यापारियों और बिल्डरों तक उनकी पहुंच से फंडिंग में फायदा मिलता है। सीआर पाटिल स्कूल ऑफ बिजनेस ऐंड पॉलिटिक्स के साथ ही उनकी मेलजोल वाले स्वभाव की वजह से पार्टी के साथ-साथ उन्हें बाहर भी उनके प्रशंसकों की कमी नहीं है।

First Published : January 21, 2023 | 11:28 AM IST