केंद्र ने राज्यों को धान के पुआल के प्रबंधन के लिए 600 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि धान के पुआल को जलाने का मौसम करीब आने के कारण आपूर्ति श्रृंखला के लिए नई पहल की गई है।
इस क्रम में पराली सबसे ज्यादा जलाए जाने वाले राज्य पंजाब को 105 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। हालांकि हरियाणा को 90 करोड़ रुपये जारी हुए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि आमतौर पर सरकार धान के पुआल का प्रबंधन करने वाली उपकरणों जैसे ‘हैप्पी सीडर’ और ‘सुपर सीडर’ को सब्सिडी देने के लिए धन मुहैया करवाती थी। लेकिन इस साल फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना के दिशानिर्देशों में बदलाव कर दिया गया है।
इस क्रम में धान के पुआल के ‘एक्स सीतू’ प्रबंधन को भी शामिल किया गया है। व्यापक तौर पर देखा जाए तो ‘इन सीतू’ प्रबंधन में जहां कटी हुई पुआल होती है, वहीं पर उसे कृषि यंत्रों जैसे ‘हैप्पी सीडर’ या ‘सुपर सीडर’ की मदद से निपटाया जाता है। हालांकि ‘एक्स सीतू’ प्रबंधन में खेत के बाहर सतत ढंग से पुआल का प्रसंस्करण किया जाता है।
धान के पुआल के ‘एक्स सीतू’ प्रबंधन के बारे में अधिकारियों ने बताया कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत पुआल की आपूर्ति श्रृंखला को अनुदान मुहैया करवाया जाएगा।
कृषि और किसान कल्याण के संयुक्त सचिव आर. रुक्मणि ने चावल के भूसे के स्वच्छ व हरित प्रबंधन पर आयोजित सीआईआई की कार्यशाला में कार्यक्रम के इतर चुनिंदा संवाददाताओं को बताया, ‘हमें उम्मीद है कि सरकार के ‘इन सीतू’ और ‘एक्स सीतू’ दोनों तरीके अपनाए जाने से इस साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी।’