नकदी संकट का सामना कर रही शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बैजूस के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी बैजू रवींद्रन (Byju Ravindran) ने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने के लिए व्यक्तिगत ऋण लिया है।
सूत्रों ने बताया कि बैजू ने 30 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है ताकि कंपनी के कर्मचारियों को मार्च महीने का वेतन दिया जा सके। मगर नकदी किल्लत से जूझ रही इस प्रमुख कंपनी ने अपने वरिष्ठ कर्मचारियों आंशिक वेतन का भुगतान किया है और शिक्षकों एवं छोटे स्तर के कर्मचारियों को पूरे महीने का वेतन दिया है।
इससे पहले कंपनी ने फरवरी के लिए भी आंशिक वेतन का भुगतान किया था और मार्च के वेतन भुगतान में देरी कर रही है। अब कर्मचारियों को फरवरी एवं मार्च महीने के आंशिक वेतन का भुगतान कर दिया गया है।
देरी राइट्स निर्गम के जरिये जुटाई गई धनराशि के कारण हुई है, जिसे निवेशकों के साथ जारी विवाद के कारण एक अलग खाते में रखा गया है और उसके उपयोग की मनाही है। सूत्रों के मुताबिक, बैजूस में करीब 15 हजार कर्मचारी और कंपनी को हर महीने करीब 40 से 50 करोड़ रुपये उनके वेतन मद में खर्च करना पड़ता है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि शनिवार को कर्मचारियों के खाते में वेतन भेज दी गई है। बैजू रवींद्र ने इस महीने का वेतन देने के लिए व्यक्तिगत ऋण लिया है। उन्होंने कहा, राइट निर्गम की रकम पैसा अभी भी विदेशी निवेशकों ने रोक रखी है।
कल राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (NCLT) में सुनवाई होनी है और कंपनी अधिकरण से रकम जारी करने का अनुरोध कर सकती है। बैजू रवींद्रन सहित कंपनी प्रबंधन ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि अदालत का चाहे जो भी फैसला रहे कर्मचारियों को मार्च महीने का वेतन देने के लिए वे वैकल्पिक रास्ता तलाश रहे हैं।
बैजूस और निवेशक राइट्स निर्गम से जुटाए 20 करोड़ डॉलर पर कुप्रबंधन के आरोप पर एनसीएलटी में एक याचिका दाखिल की है। कंपनी के चार निवेशकों ने बैजूस के 22 अरब डॉलर के मूल्यांकन की तुलना में 99 फीसदी से कम उद्यम मूल्यांकन पर राइट्स निर्गम पर रोक लगाने की मांग की थी।