राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) के दिल्ली पीठ ने संकटग्रस्त विमानन कंपनी गो फर्स्ट की दिवालिया याचिका आज स्वीकार कर ली। इसके साथ ही विमानन कंपनी को ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत मॉरेटोरियम में रख दिया गया। एनसीएलटी के आदेश में कहा गया है, ‘कॉरपोरेट आवेदक (गो फर्स्ट) की याचिका स्वीकार कर ली गई है। इसलिए धारा 14(1) (ए), (बी), (सी) और (डी) के तहत मॉरेटोरियम घोषित किया जाता है।’
मॉरेटोरियम के दौरान देनदारों के खिलाफ किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती। इसका मतलब साफ है कि गो फर्स्ट को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियां फिलहाल उसके विमान अपने कब्जे में नहीं ले सकेंगी। वरिष्ठ वकील संजय सेन ने कहा, ‘गो एयर की दिवाला याचिका एनसीएलटी में स्वीकार होने से पट्टा कंपनियां विमानों पर कब्जा नहीं कर सकेंगी।
यह फौरी राहत है, जिससे विमानन कंपनी को ऋणदाताओं की मदद से काम चालू करने में मदद मिलेगी। कंपनी के कर्मचारियों एवं अन्य हितधारकों के हितों की रक्षा के लिहाज से यह अच्छा कदम है।’
विमानन कंपनी को पट्टे पर विमान देने वालों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि उन्होंने इस आदेश के खिलाफ अपील की है। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (एनसीएलएटी) में यह मामला 11 मई को आएगा। एनसीएलटी ने अल्वारेज ऐंड मार्शल के अभिलाष लाल को विमानन कंपनी की कमान संभालने के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) बनाया है।
उसने आईआरपी को सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस विमानन कंपनी के कर्मचारियों की छंटनी न होने पाए। एनसीएलटी में दिवालिया याचिका स्वीकार होने के बाद आईआरपी ही कंपनी का सर्वेसर्वा होता है।
अदालत ने आईआरपी को प्रैट ऐंड व्हिटनी के खिलाफ और गो फर्स्ट के पक्ष में आए मध्यस्थता के फैसले को लागू कराने जैसे कदम उठाने के लिए भी कहा ताकि विमानन कंपनी का परिचालन ठीक से हो सके। विमानन कंपनी ने पंचाट को बताया था कि उसने सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत में प्रैट ऐंड व्हिटनी के खिलाफ जीत हासिल की है।
उसके तहत प्रैट ऐंड व्हिटनी को इस साल 27 अप्रैल तक 10 ऐसे इंजन देने के लिए कहा गया है, जो विमान में इस्तेमाल हो सकें। इसी तरह हर महीने काम करने वाले 10 इंजनों की आपूर्ति का निर्देश भी दिया गया है।
गो फर्स्ट ने पंचाट से कहा, ‘प्रैट ऐंड व्हिटनी ने मध्यस्थता अदालत का आदेश मानने में नाकाम रही है। इसलिए अमेरिका के डेलावेयर एवं अन्य जगहों पर उसके खिलाफ प्रवर्तन संबंधी कार्रवाई पहले ही शुरू हो चुकी है।’ प्रैट ऐंड व्हिटनी के आधिकारिक प्रवक्ता ने इस आदेश पर कहा, ‘गो फर्स्ट का यह आरोप बिल्कुल निराधार है कि उसकी खस्ता माली हालत के लिए प्रैट ऐंड व्हिटनी जिम्मेदार है। प्रैट ऐंड व्हिटनी गो फर्स्ट के दावों के खिलाफ अपना पक्ष मजबूती से रखेगी और अपनी कानूनी लड़ाई लड़ेगी।’
गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘यह ऐतिहासिक फैसला है क्योंकि दिवालिया याचिका तुरंत स्वीकार कर ली गई है। यह आदेश चलती हुई विमानन कंपनी को ठप होने से रोकता है। आईबीसी का मकसद हमेशा ही पुनरुद्धार यानी पटरी पर लौटाना रहा है।’ उन्होंने कहा कि इस याचिका का बुनियादी उद्देश्य विमानन कंपनी की परिसंपत्तियों को बचाना है।
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उन्होंने कहा कि गो फर्स्ट के 27 विमान अब भी काम कर रहे हैं। विमानन कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि 19 मई 2023 तक उसकी सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। गो फर्स्ट ने अपनी दिवालिया याचिका में प्रैट ऐंड व्हिटनी पर आरोप लगाया है कि उसके 54 एयरबस ए320 नियो विमानों में से आधे से ज्यादा उससे मिले खराब इंजनों के कारण ठप पड़े हैं। कंपनी ने यह भी कहा है कि उसे पिछले 30 दिनों में 4,118 उड़ानें रद्द करनी पड़ी।
दिवालिया याचिका में दावा किया गया है कि विमानन कंपनी पट्टा कंपनियों को 2,660 करोड़ रुपये और आपूर्तिकर्ताओं को 1,202 करोड़ रुपये का भुगतान करने से चूक गई। पट्टा कंपनियों (एसएमबीसी कैपिटल एविएशन, जीएएल, सीडीबी एविएशन, सोनोराम एविएशन कंपनी और एमएसपीएल एविएशन) ने विमानन कंपनी की दिवालिया याचिका का विरोध किया। उनका कहना था कि उनका पक्ष सुनने से पहले वह मॉरोटोरियम नहीं मांग सकती। पंचाट ने उनकी यह दलील खारिज कर दी।