प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और नई प्रौद्योगिकी पर जोर देने और वैश्विक लक्ष्यों को साधने के लिए दिग्गज दोपहिया कंपनियों के अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) खर्च में जबरदस्त तेजी आई है। हीरो मोटोकॉर्प, टीवीएस मोटर कंपनी, रॉयल एनफील्ड और बजाज ऑटो जैसी प्रमुख भारतीय दोपहिया वाहन कंपनियों ने पिछले 5 वर्षों के दौरान अपने आरऐंडडी खर्च में भारी वृद्धि की है। यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब उद्योग में ओला इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी और ग्रीव्स इलेक्ट्रिक जैसी बड़ी स्टार्टअप कंपनियों का उदय हुआ है। इन कंपनियों ने ईवी क्षेत्र में जबरदस्त हलचल मचा दी है।
दोपहिया बाजार की अग्रणी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प और इसी साल आईक्यूब को बाजार में उतारने वाली टीवीएस मोटर कंपनी ने पहली बार नवाचार खर्च में 1,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा भी पार कर लिया है। इतना ही नहीं इन 4 प्रमुख भारतीय दोपहिया कंपनियों का कुल आरऐंडडी खर्च 2024-25 में 3,304 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2020-21 के 1,595 करोड़ रुपये से 107 फीसदी अधिक है।
टीवीएस मोटर ने वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 के बीच अपने नवाचार खर्च में 210 फीसदी की शानदार वृद्धि दर्ज की है। इस दौरान कंपनी का नवाचार खर्च 331 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,025 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी के चेयरमैन राल्फ स्पेथ ने पिछले दिनों शेयरधारकों के नाम अपने अंतिम संबोधन में कहा, ‘आरऐंडडी पर ध्यान हमारी वृद्धि और आकांक्षाओं को संचालित करता है। हमने 2024-25 के दौरान आरऐंडडी में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। ऐसा पहली बार हुआ है जब हमने इस पड़ाव को पार किया है। हमारे 2,000 से अधिक इंजीनियर कई उद्योग-प्रथम और श्रेणी-प्रथम हस्तक्षेपों पर काम कर रहे हैं।’
कंपनी राइडर-व्हीकल इंटरैक्शन को बेहतर बनाने के लिए अगली पीढ़ी के इंटरफेस के रूप में ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) पर भी विचार कर रही है। कंपनी की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वाहन की विंडस्क्रीन में एकीकृत एआर सक्षम हेडअप डिस्प्ले (एचयूडी) लगाने पर काम चल रहा है जो रीयल-टाइम नेविगेशनल ओवरले, ब्लाइंड स्पॉट अलर्ट, डायनेमिक रेंज अनुमान और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता को प्रदर्शित करने में सक्षम हैं।
प्राइमस पार्टनर्स के सलाहकार अनुराग सिंह ने कहा, ‘पुरानी दोपहिया वाहन कंपनियां लगातार नए मॉडल उतार रही हैं और नवाचार कर रही हैं। वे न केवल भारत के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए भी नए उत्पाद बना रही हैं। भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का है और इसलिए उनके खर्च का एक बड़ा हिस्सा ईवी में नई प्रौद्योगिकी एवं मॉडल विकसित करने के लिए है।’
हीरो मोटोकॉर्प का आरऐंडडी खर्च इस अवधि में 93 फीसदी बढ़कर 1,040 करोड़ रुपये हो गया। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2010 के 30 करोड़ रुपये से 33 गुना अधिक है। वित्त वर्ष 2024-25 में ही कंपनी ने 170 से अधिक पेटेंट के लिए आवेदन किए।
बजाज ऑटो एकमात्र ऐसी कंपनी है जिसका वित्त वर्ष 2010 में भी आरऐंडडी मद का खर्च तीन अंकों में 135 करोड़ रुपये था। मगर समान अवधि के दौरान कंपनी का आरऐंडडी खर्च 47 फीसदी बढ़कर 626 करोड़ रुपये हो गया।
आयशर मोटर्स 2026 में अपने पहले इलेक्ट्रिक वाहन रॉयल एनफील्ड फ्लाइंग फ्ली सी6 के साथ धूम मचाने की उम्मीद कर रही है। उसने भी पिछले पांच वर्षों के दौरान अपना आरऐंडडी खर्च 299 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 613 करोड़ रुपये कर दिया है। पुरानी कंपनियों के आरऐंडडी खर्च में यह रुझान ऐसे समय में दिख रहा है जब ओला जैसी नई कंपनियां वित्त वर्ष 2025 से 2027 के बीच नवाचार पर 1,600 करोड़ रुपये का निवेश कर रही हैं। एथर ने वित्त वर्ष 2022 से 2024 के बीच लगभग 520 करोड़ रुपये का निवेश किया है और आगे भी निवेश करने की योजना बना रही है।