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इन-स्पेस ने निजी क्षेत्र को मुहैया कराईं इसरो की 10 तकनीकें

अंतरिक्ष गतिविधियों के दायरे में भारतीय निजी क्षेत्र की भागीदारी सक्षम करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद जून 2020 में इन-स्पेस का गठन किया गया था।

Last Updated- July 03, 2025 | 10:24 PM IST
International Space Station
प्रतीकात्मक तस्वीर

देश की अंतरिक्ष औद्योगिक क्षमताओं को और आगे बढ़ाने की दिशा में एक और महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) ने इसरो द्वारा विकसित 10 अत्याधुनिक तकनीकों को अपस्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में छह भारतीय उद्योगों को हस्तांतरित करने की सुविधा प्रदान की है।

इस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का उद्देश्य निजी कंपनियों को इसरो के पास उपलब्ध विकसित तकनीकों तक पहुंचने का अवसर प्रदान करना है और उन्हें अंतरिक्ष के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिए अंतरिक्ष से संबंधित तकनीक का उपयोग करने में सक्षम करना है। यह उद्योग की भागीदारी को गहरा करने, स्वदेशीकरण को सक्षम करने तथा उपग्रह प्रक्षेपण, ग्राउंड स्टेशन के बुनियादी ढांचे और भू-स्थानिक अनुप्रयोगों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विदेशी तकनीकों पर निर्भरता कम करने पर भी विचार कर रहा है।

अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने और अंतरिक्ष गतिविधियों के दायरे में भारतीय निजी क्षेत्र की भागीदारी सक्षम करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद जून 2020 में इन-स्पेस का गठन किया गया था। तब से करीब 93 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों का अंजाम दिया गया है। अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार साल 2019 में शुरू किए गए थे। अहमदाबाद में इन-स्पेस के मुख्यालय में न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल), प्रौद्योगिकी प्राप्तकर्ता उद्योगों और इन-स्पेस के बीच त्रिपक्षीय प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते (टीटीए) पर हस्ताक्षर किए गए।

इन-स्पेस के चेयरमैन पवन गोयनका ने कहा, ‘इन प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल और व्यावसायीकरण के लिए सशक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इसरो के पास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास का समृद्ध भंडार है और अब समय आ गया है कि हम भारत के अंतरिक्ष औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए इसका अधिकतम लाभ उठाएं और इसमें उद्योग के अगुआई वाले नवाचार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।’

हस्तांतरित की गई प्रौद्योगिकियों में दो आधुनिक इनर्शल सेंसर – लेजर जाइरोस्कोप और सिरेमिक सर्वो एक्सेलेरोमीटर शामिल हैं। इन्हें उपग्रह प्रक्षेपण यानों में संभावित उपयोग के लिए इसरो की इनर्शल सिस्टम्स यूनिट द्वारा विकसित किया गया है। इन प्रौद्योगिकियों को हैदराबाद की जेटाटेक टेक्नॉलजीज को हस्तांतरित किया गया है, जो इनर्शल नेविगेशन सिस्टम (आईएनएस) परीक्षण और कैलिब्रेशन में 25 से अधिक वर्षों की विशेषज्ञता वाली कंपनी है। इससे जेटाटेक भारत की ऐेसी पहली कंपनी बन जाती है, जिसने ऐसी आला प्रौद्योगिकी हासिल की है। इसे वर्तमान में विभिन्न क्षेत्रों द्वारा आयात किया जा रहा है।

First Published - July 3, 2025 | 10:13 PM IST

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