टेक-ऑटो

प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से की भेंट, कहा – आत्मनिर्भरता के साथ अंतरिक्ष में अग्रणी बनेगा भारत

प्रधानमंत्री ने —गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन—का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए देश को 40–50 प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्रियों की एक मजबूत टीम तैयार करनी होगी।

Published by
निमिष कुमार   
Last Updated- August 19, 2025 | 3:13 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से मुलाकात की और उनके अंतरिक्ष यात्रा के अनुभवों पर विस्तृत चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारत का सफलता की ओर मार्ग आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष क्षेत्र में दृढ़ संकल्प से होकर गुजरता है। उन्होंने यह भी कहा कि शुभांशु शुक्ला की यात्रा केवल शुरुआत है और देश के विशाल अंतरिक्ष लक्ष्यों की नींव है।

प्रधानमंत्री ने इस बातचीत के दौरान पूछा कि अंतरिक्ष यात्रा के बाद मन और शरीर में क्या बदलाव आते हैं। शुक्ला ने बताया कि शून्य गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर में कई परिवर्तन होते हैं — हृदयगति धीमी हो जाती है और वापस धरती पर आने पर चलना भी कठिन हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरिक्ष में 4–5 दिन में शरीर स्वयं को वातावरण के अनुकूल बना लेता है, लेकिन धरती पर लौटते ही फिर से समायोजन की आवश्यकता होती है।

प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष कैप्सूल के आरामदायक होने को लेकर भी सवाल किया। इस पर शुक्ला ने कहा कि यह एक फाइटर जेट कॉकपिट से कहीं ज्यादा आरामदायक होता है। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहना संभव हो रहा है और वर्तमान मिशन में कुछ लोग आठ महीने तक रह रहे हैं।

बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्ला द्वारा अंतरिक्ष में मूंग और मेथी उगाने के प्रयोगों की सराहना की। शुक्ला ने बताया कि इन छोटे-छोटे प्रयोगों से यह प्रमाणित हो रहा है कि बहुत ही सीमित संसाधनों के साथ भी पौधे उगाए जा सकते हैं, जो भविष्य में अंतरिक्ष भोजन की चुनौती को हल करने के साथ-साथ पृथ्वी पर भी खाद्य सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं।

शुक्ला ने बताया कि जब वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्रियों से मिले तो सभी भारत की उपलब्धियों और खासकर ‘गगनयान’ मिशन के प्रति बेहद उत्साहित थे। उन्होंने गर्व से बताया कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की वैश्विक स्तर पर सराहना हो रही है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत के दो बड़े रणनीतिक मिशनों—गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन—का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए देश को 40–50 प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्रियों की एक मजबूत टीम तैयार करनी होगी। उन्होंने कहा कि अब भारत के बच्चे भी आत्मविश्वास से पूछ रहे हैं, “मैं अंतरिक्ष यात्री कैसे बन सकता हूँ?” यह परिवर्तन शुभांशु शुक्ला जैसे प्रेरणास्रोतों के कारण संभव हो रहा है।

शुक्ला ने कहा कि जब 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे, तब उनके जैसे बच्चों को यह सपना भी नहीं आता था, क्योंकि तब कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं था। लेकिन आज, भारत के पास न केवल सपना है, बल्कि उसे पूरा करने की योजना और क्षमता भी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भरता की बात दोहराते हुए कहा कि यदि भारत अपने अंतरिक्ष लक्ष्यों को आत्मनिर्भरता के साथ अपनाएगा, तो उसे सफलता अवश्य मिलेगी। शुक्ला ने भी प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि भारत एक नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है — एक ऐसा अंतरिक्ष स्टेशन जिसमें भारत अग्रणी हो और अन्य देश सहभागी हों।

शुक्ला ने चंद्रयान-2 की असफलता के बावजूद सरकार द्वारा निरंतर समर्थन और बजट आवंटन की सराहना की, जिसके चलते चंद्रयान-3 सफल रहा। उन्होंने कहा कि यही आत्मबल और नेतृत्व भारत को अंतरिक्ष में महाशक्ति बना सकता है।

In Parliament: Ease of Doing Business, Ease of Living के लिए सरकार करेगी 355 प्रावधानों में संशोधन

उप-राष्ट्रपति पद के NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को लेकर आई राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया 

First Published : August 19, 2025 | 3:13 PM IST