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Lok Sabha Election 2024: आम चुनाव में खलल दूर करने के लिए दल-बल से जुटी Facebook की Meta

Meta ने कहा कि वह Google, OpenAI, Microsoft,Adobe, Midjournet और Shutterstock द्वारा AI से तैयार तस्वीरों की पहचान कराने के लिए नई तकनीक तैयार कर रही है।

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शिवानी शिंदे   
Last Updated- March 19, 2024 | 9:22 PM IST

लोकसभा चुनाव में ऑनलाइन सामग्री के जरिये खलल की आशंका दूर करने के लिए तकनीकी कंपनी मेटा विशेष चुनाव परिचालन केंद्र तैयार करेगी। मेटा अपने ऐप्लिकेशन एवं तकनीकी प्लेटफॉर्म पर लोगों को गुमराह करने वाली खबरों से बेअसर रखने के लिए खास इंतजाम करेगी। कंपनी भारत में तथ्यों की जांच करने वाली (फैक्ट चेकर) अपनी टीम को धार दे रही है और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के बेजा इस्तेमाल पर भी अंकुश लगाने की जुगत कर रही है। देश में 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराए जाएंगे।

मेटा ने कहा है कि वह गुमराह करने वाली खबरें फैलने से रोकने के सभी उपाय करेगी। कंपनी ने कहा कि वह मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सामग्री हटाएगी और फेसबुक और थ्रेड्स पर पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए जवाबदेही तय करेगी। मेटा ने कहा है कि देश में आम चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष एवं पारदर्शी रखने में वह अपनी तरफ से पूरा सहयोग करेगी।

मेटा ने भारत के लिए विशिष्ट चुनाव परिचालन केंद्र तैयार करने के बारे में आज कहा, ‘कंपनी अपनी एआई, डेटा साइंस, अभियांत्रिकी, शोध, संचालन, सामग्री नीति और विधि टीमों से विशेषज्ञ बुलाएगी और विभिन्न प्लेटफॉर्म से ऐसी सामग्री हटाएगी, जो चुनाव प्रक्रिया एवं मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।’

कंपनी ने यह भी कहा कि वह भारत में फैक्ट-चेकिंग टीम का विस्तार कर रही है। कंपनी ने ब्लॉग में कहा, ‘हम भारत में स्वतंत्र फैक्ट-चेकर की टीम लगातार बढ़ा रहे हैं। इस काम के लिए भारत में हमने 16 साझेदारों से हाथ मिलाया है, जो 16 भाषाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। किसी देश के लिए हमारी यह सबसे बड़ी व्यवस्था है।’

मेटा दुनिया भर में बचाव एवं सुरक्षा जैसे विषयों पर 40,000 लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। कंपनी 2016 से इस पर 20 अरब डॉलर लगा चुकी है। इनमें सामग्री की समीक्षा करने वाले 15,000 लोग भी शामिल हैं, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स जैसे प्लेटफॉर्म पर 70 भाषाओं में काम कर रहे हैं। इनमें 20 भारतीय भाषाएं भी शामिल हैं।

मेटा ने यह भी कहा कि गुमराह करने वाली सामग्री की पहचान और उससे होने वाले जोखिम को रेटिंग देने में अपने फैक्ट-चेकर की मदद करने के लिए वह ‘कीवर्ड डिटेक्शन’ तकनीक का इस्तेमाल करेगी।

कंपनी स्वैच्छिक नीति संहिता के माध्यम से भारतीय निर्वाचन आयोग को सहयोग दे रही है। इस संहिता में निर्वाचन आयोग सोशल मीडिया कंपनियों को गैर-कानूनी सामग्री पर ध्यान देने के लिए कहता है। मेटा 2019 में इस व्यवस्था से जुड़ी थी।

इस आम चुनाव में जेनेरेटिव एआई की मदद से तैयार सामग्री पर भी आयोग समेत सबकी निगाहें होंगी। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कुछ महीने पहले बड़ी तकनीकी कंपनियों को ऐसी व्यवस्था (वाटर मार्किंग) या प्रणाली तैयार करने के लिए कहा था, जो एआई डीपफेक के इस्तेमाल से तैयार सामग्री का पता लगा सके। मेटा के साथ काम कर रहे फैक्ट-चेकर एआई से तैयार सामग्री की समीक्षा करने के साथ उन्हें रेटिंग भी देंगे।

मेटा ने कहा कि वह गूगल, ओपनआई, माइक्रोसॉफ्ट, अडोबी, मिडजर्नी और शटरस्टॉक द्वारा एआई से तैयार तस्वीरों की पहचान कराने के लिए नई तकनीक तैयार कर रही है। यूजर इन कंपनियों द्वारा तैयार तस्वीरों को फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर डालते रहते हैं।

मेटा की तरह गूगल भी चुनाव के दौरान मतदाताओं को गुमराह करने वाली सामग्री पर नकेल कसने में सहयोग कर रही है। कंपनी ने अपने एआई प्लेटफॉर्म जेमिनी में कुछ बदलाव किए हैं जिसके बाद यह भारतीय चुनावों से सीधे तौर पर जुड़े किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाएगा।

First Published : March 19, 2024 | 9:22 PM IST